सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम भजन
सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम भजन
ओ बन्दे तेरी कौड़ी लगे ना कोई दाम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम।
पांव दिया रे बन्दे तीरथ कर ले,
हाथ दिया रे कर दान,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम।
नैन दिया रे बन्दे दर्शन कर ले,
कान दिया रे सुन ज्ञान,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
दांत दिया रे बन्दे मुखड़े री शोभा,
जीभ दीनी रे भजो श्याम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
शीश दिया रे बन्दे प्रभु को निमनने,
बहार बार प्रणाम कोटि बार प्रणाम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
श्याम बहादुर शिव जी तुझको सुमिरते,
बाली बाई रो प्रणाम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम।
पांव दिया रे बन्दे तीरथ कर ले,
हाथ दिया रे कर दान,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रे श्री श्याम।
नैन दिया रे बन्दे दर्शन कर ले,
कान दिया रे सुन ज्ञान,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
दांत दिया रे बन्दे मुखड़े री शोभा,
जीभ दीनी रे भजो श्याम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
शीश दिया रे बन्दे प्रभु को निमनने,
बहार बार प्रणाम कोटि बार प्रणाम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
श्याम बहादुर शिव जी तुझको सुमिरते,
बाली बाई रो प्रणाम,
तू भजता क्यों नहीं रे श्री श्याम,
सुमिरता क्यों नहीं रै श्री श्याम।
बन्दे गा ले श्याम का नाम | Bande Gaa Le Shyam Ka Naam | Khatu Shyam Bhajan 2024 | Shyam Bhajan
प्रभु ने पैर, हाथ, नैन, कान, दांत, जीभ और शीश तक दे दिया, फिर भी हे बन्दे तू भजन-सुमिरन क्यों न करता श्री श्याम का। तीर्थ कर, दान दे, दर्शन कर, ज्ञान सुन, मुख सज्जा कर, प्रणाम कर कोटि बार, ये सब तो उसी की कृपा से संभव है। श्याम बहादुर शिव जी और बाली बाई भी सुमिरते हैं, तू क्यों पीछे रहता है।
खाटू श्याम का नाम जाप जीवन को सुखमय बना देता है, जय श्री श्याम उद्घोष भक्ति प्रेम और समर्पण जगाता है। ये भजन सिखाता है कि देह के हर अंग का उपयोग भगवान सुमिरन में हो, तभी जीवन का असली दाम मिले। भक्तों में एकता लाता है, जाति-धर्म भेद मिटाता है।
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