हरदम आवै थांरी याद श्याम कीर्तन

हरदम आवै थांरी याद श्याम कीर्तन भजन


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हरदम आवै थांरी याद,
श्याम कीर्तन म,
पीळी पगड़ी धोळो चोलो,
धोती चूनड़ वाळी,
श्याम भजन मं ठुमक-ठुमक,
लेता मस्ती मतवाळी,
करता था अैं सं सारी बात,
श्याम कीर्तन मं।

बाळक बूढो नर ओर नारी,
सैं की बातां सुणता,
जो भी होतो बैं को संकट,
श्याम धणी सं कहता,
अैं की भी बिपदा काट,
श्याम कीर्तन मं।

कोई-कोई अरदास इसी थी,
ताबे यो न आतो,
लाग्या रैता भजनां मांई,
जद तांई न सुणतो,
सुमीरण का था ठाट,
श्याम कीर्तन मं।

भजनां री मस्ती बाबाजी,
जो थांरै संग लेली,
लाख चेष्टा करणै पर भी,
सुरतां फिरै अकेली,
मिलवाद्यो म्हारा तार,
श्याम कीर्तन मं।

दिण हो चैत बदी ग्यारस को,
औ मनड़ो नईं कोई कै बसको,
जिंनै पड्यो नांव को चसको,
कर दिन्यो प्रभु भागी जसको।

तीर्थ स्थान धाम तैं पायो,
हो गयो भव स्यूं पार,
बाबो आपो दिन्यो सुंवार,
म्हे जावां चरणां मं बलिहार।


Hardum Aave Thari Yaad Shyam Kirtan Mein - चैत बदी ग्यारस - Ghanshyam Das ji @shyambhavbhajan

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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