जब आंख खुली तो अम्मा की भजन
जब आंख खुली तो अम्मा की भजन
जब आंख खुली तो अम्मा की,
गोदी का एक सहारा था,
उसका नन्हा सा आंचल मुझको,
भूमण्डल से प्यारा था।
उसके चेहरे की झलक देख,
चेहरा फूलों सा खिलता था,
उसके स्तन की एक बूंद से,
मुझको जीवन मिलता था।
हाथों से बालों को नोंचा,
पैरों से खूब प्रहार किया,
फिर भी उस मां ने पुचकारा,
हमको जी भर के प्यार किया।
मैं उसका राजा बेटा था,
वो आंख का तारा कहती थी,
मैं बनूं बुढापे में उसका,
बस एक सहारा कहती थी।
उंगली को पकड़ चलाया था,
पढने विद्यालय भेजा था,
मेरी नादानी को भी निज,
अन्तर में सदा सहेजा था।
मेरे सारे प्रश्नों का वो,
फौरन जवाब बन जाती थी,
मेरी राहों के कांटे चुन,
वो खुद गुलाब बन जाती थी।
मैं बड़ा हुआ तो कॉलेज से,
इक रोग प्यार का ले आया,
जिस दिल में मां की मूरत थी,
वो रामकली को दे आया।
शादी की पति से बाप बना,
अपने रिश्तों में झूल गया,
अब करवाचौथ मनाता हूं,
मां की ममता को भूल गया।
हम भूल गये उसकी ममता,
मेरे जीवन की थाती थी,
हम भूल गये अपना जीवन,
वो अमृत वाली छाती थी।
हम भूल गये वो खुद भूखी,
रह करके हमें खिलाती थी,
हमको सूखा बिस्तर देकर,
खुद गीले में सो जाती थी।
हम भूल गये उसने ही,
होठों को भाषा सिखलायी थी,
मेरी नीदों के लिए रात भर,
उसने लोरी गायी थी।
हम भूल गये हर गलती पर,
उसने डांटा समझाया था,
बच जाऊं बुरी नजर से,
काला टीका सदा लगाया था।
हम बड़े हुए तो ममता वाले,
सारे बन्धन तोड़ आए,
बंगले में कुत्ते पाल लिए,
मां को वृद्धाश्रम छोड आए।
उसके सपनों का महल गिराकर,
कंकर कंकर बीन लिए,
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के,
आभूषण तक छीन लिए।
हम मां को घर के बंटवारे की,
अभिलाषा तक ले आए,
उसको पावन मंदिर से,
गाली की भाषा तक ले आए।
मां की ममता को देख मौत भी,
आगे से हट जाती है,
गर मां अपमानित होती,
धरती की छाती फट जाती है।
घर को पूरा जीवन देकर,
बेचारी मां क्या पाती है।
जब आंख खुली तो अम्मा की,
गोदी का एक सहारा था,
उसका नन्हा सा आंचल मुझको,
भूमण्डल से प्यारा था।
गोदी का एक सहारा था,
उसका नन्हा सा आंचल मुझको,
भूमण्डल से प्यारा था।
उसके चेहरे की झलक देख,
चेहरा फूलों सा खिलता था,
उसके स्तन की एक बूंद से,
मुझको जीवन मिलता था।
हाथों से बालों को नोंचा,
पैरों से खूब प्रहार किया,
फिर भी उस मां ने पुचकारा,
हमको जी भर के प्यार किया।
मैं उसका राजा बेटा था,
वो आंख का तारा कहती थी,
मैं बनूं बुढापे में उसका,
बस एक सहारा कहती थी।
उंगली को पकड़ चलाया था,
पढने विद्यालय भेजा था,
मेरी नादानी को भी निज,
अन्तर में सदा सहेजा था।
मेरे सारे प्रश्नों का वो,
फौरन जवाब बन जाती थी,
मेरी राहों के कांटे चुन,
वो खुद गुलाब बन जाती थी।
मैं बड़ा हुआ तो कॉलेज से,
इक रोग प्यार का ले आया,
जिस दिल में मां की मूरत थी,
वो रामकली को दे आया।
शादी की पति से बाप बना,
अपने रिश्तों में झूल गया,
अब करवाचौथ मनाता हूं,
मां की ममता को भूल गया।
हम भूल गये उसकी ममता,
मेरे जीवन की थाती थी,
हम भूल गये अपना जीवन,
वो अमृत वाली छाती थी।
हम भूल गये वो खुद भूखी,
रह करके हमें खिलाती थी,
हमको सूखा बिस्तर देकर,
खुद गीले में सो जाती थी।
हम भूल गये उसने ही,
होठों को भाषा सिखलायी थी,
मेरी नीदों के लिए रात भर,
उसने लोरी गायी थी।
हम भूल गये हर गलती पर,
उसने डांटा समझाया था,
बच जाऊं बुरी नजर से,
काला टीका सदा लगाया था।
हम बड़े हुए तो ममता वाले,
सारे बन्धन तोड़ आए,
बंगले में कुत्ते पाल लिए,
मां को वृद्धाश्रम छोड आए।
उसके सपनों का महल गिराकर,
कंकर कंकर बीन लिए,
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के,
आभूषण तक छीन लिए।
हम मां को घर के बंटवारे की,
अभिलाषा तक ले आए,
उसको पावन मंदिर से,
गाली की भाषा तक ले आए।
मां की ममता को देख मौत भी,
आगे से हट जाती है,
गर मां अपमानित होती,
धरती की छाती फट जाती है।
घर को पूरा जीवन देकर,
बेचारी मां क्या पाती है।
जब आंख खुली तो अम्मा की,
गोदी का एक सहारा था,
उसका नन्हा सा आंचल मुझको,
भूमण्डल से प्यारा था।
माँ । डॉ सुनील जोगी की बेहतरीन कविता । एकबार जरूर सुनें | Most beautiful poem on Maa
माँ । डॉ सुनील जोगी की बेहतरीन कविता । एकबार जरूर सुनें , माँ पर इस से अच्छी कविता नही सुनी होगी ।
Music - Bal Krishan Sharma
यह भजन भी देखिये
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें। |