झुक जइयो तनक रघुवीर रामभजन
झुक जइयो तनक रघुवीर श्री राम जी भजन
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
जय माला लिए,
कब से है ठाड़ी,
दूखन लागो शरीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
तुम तो हो राम जी,
अयोध्या के राजा,
और हम है जनक के गरीब,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
लक्ष्मण ने भाभी की,
दुविधा पहचानी,
राम जी के चरणों में,
वो झुक गए है ज्ञानी,
सब कहे जय जय रघवीर,
प्रभु जी क्या जोड़ी है,
सिया मेरी छोटी है।
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
जय माला लिए,
कब से है ठाड़ी,
दूखन लागो शरीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
तुम तो हो राम जी,
अयोध्या के राजा,
और हम है जनक के गरीब,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
लक्ष्मण ने भाभी की,
दुविधा पहचानी,
राम जी के चरणों में,
वो झुक गए है ज्ञानी,
सब कहे जय जय रघवीर,
प्रभु जी क्या जोड़ी है,
सिया मेरी छोटी है।
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है,
सिया मेरी छोटी,
लली मेरी छोटी,
तुम हो बड़े बलवीर,
सिया मेरी छोटी है,
झुक जइयो तनक रघुवीर,
सिया मेरी छोटी है।
Jhuk Jaiyo Kanak Raghuvir [Full Song] Ram Bhajnamrat
Song: Jhuk Jaiyo Kanak RaghuvirAlbum: Ram Bhajnamrat
यह भाव राम और सीता के अद्भुत दांपत्य स्नेह की विनम्रता और पवित्रता को व्यक्त करता है। यहाँ भक्ति में प्रेम का वह सहज रूप झलकता है जहाँ ईश्वर स्वयं मर्यादा का पालन करते हुए मानवता को विनय का उदाहरण देते हैं। विवाहमंडप में जब राम जयमाला के समय झुकने को कहते हैं, तो यह केवल एक लौकिक क्रिया नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संदेश है — कि जहाँ प्रेम हो, वहाँ अहंकार नहीं टिक सकता। मर्यादा पुरुषोत्तम का यह झुकना असल में दंपत्ति जीवन में समानता, आदर और करुणा का प्रतीक बन जाता है। यह झुकाव दर्शाता है कि ईश्वर भी प्रेम के विधान से बंधे हैं, और उनका बल विनम्रता में ही निहित है।
'रघुवीर' शब्द दो शब्दों के संयोजन से बना है: 'रघु' और 'वीर', और इसका शाब्दिक अर्थ होता है "रघुकुल का वीर"। यह नाम मुख्य रूप से भगवान श्री रामचन्द्र जी को समर्पित है, क्योंकि वे रघुवंश (सूर्यवंश की एक शाखा) में उत्पन्न हुए थे, और 'वीर' शब्द उनकी बहादुरी, वीरता, और धार्मिकता को दर्शाता है। इस प्रकार, 'रघुवीर' का आशय रघुवंश के सबसे बहादुर, महान और पराक्रमी पुरुष से है, जो धर्म की रक्षा करने वाले और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाले हैं।
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