ऐसो कौ उदार जग माहीं लिरिक्स Aiso Ko Udar Jag Mahi Lyrics
ऐसो कौ उदार जग माहीं,
बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर,
राम सरस कोउ नाहि।
जो गति जोग बिराग जतन,
करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी,
सो गति देत गीध सबरी,
कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी।
जो संपति दस सीस अरप,
करि रावण सिव पहँ लीन्हीं,
सो संपदा विभीषण कहँ,
अति सकुच सहित हरि दीन्हीं।
तुलसीदास सब भांति सकल,
सुख जो चाहसि मन मेरो,
तो भजु राम काम सब,
पूरन करहि कृपानिधि तेरो।
बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर,
राम सरस कोउ नाहि।
जो गति जोग बिराग जतन,
करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी,
सो गति देत गीध सबरी,
कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी।
जो संपति दस सीस अरप,
करि रावण सिव पहँ लीन्हीं,
सो संपदा विभीषण कहँ,
अति सकुच सहित हरि दीन्हीं।
तुलसीदास सब भांति सकल,
सुख जो चाहसि मन मेरो,
तो भजु राम काम सब,
पूरन करहि कृपानिधि तेरो।
Pushottam Das Jalota-Aiso Ko Udaar Jag Mahi
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