कच्ची हल्दी बढ़ाती है इम्युनिटी कई हैं लाभ Kachchi Haldi Ke Fayde
कच्ची
हल्दी (Raw Turmeric) का सेवन सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। कच्ची हल्दी में औषधीय गुण भरपूर मात्रा में होते हैं जिसका वर्णन हमें आयुर्वेद में भी प्राप्त होता है। इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, एंटी-ऑक्सीडेंट्स के रूप में इसका उपयोग अधिक लाभकारी होता है। इस लेख में आप जाएंगे की कैसे हल्दी सब्जियों में उपयोग के अतिरिक्त आयुर्वेद में स्वास्थ्य गुणों के कारण भी उपयोगी होती है। हल्दी के गुणों के कारण ही इसे "स्वर्ण मसाला" कहा जाता है और यह भारतीय रसोईयों में अभिन्न व्यंजनों को स्वादिष्ट और सेहत के लिए लाभकारी बनाने का एक अहम हिस्सा है। इसका रंग सूरज की किरणों की तरह सुनहरा होता है, हल्दी को भारतीय साहित्य, संस्कृति, और आयुर्वेद में बहुत अधिक महत्व दिया गया है और इसे पूजनीय माना जाता है। आधुनिक तथा परंपरागत चिकित्सा तंत्रों में भी हल्दी के विभिन्न गुणों का स्वीकृति है। विश्वभर में, हल्दी को एक "सुपरफूड" के रूप में माना जाता है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है हल्दी
हल्दी और विशेष रूप से कच्ची हल्दी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है जो हमें कई प्रकार के रोगों से लड़ने में मदद करती है। कच्ची हल्दी की सब्जी हो या आप इसे दूध में मिलाकर पिए, सभी अवस्था में यह गुणकारी होती है। हल्दी को शहद के साथ लेने पर यह शरीर के विषाक्त प्रदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और कुरक्यूमिन शरीर के फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। हल्दी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स रोगों से शरीर की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि कैंसर, हृदय रोग, और ऊतकों की क्षति आदि । हल्दी का नियमित सेवन शरीर को फ्री रेडिकल्स के खिलाफ सुरक्षा करने में मदद कर सकता है और सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
पाचन को दुरुस्त करने में सहायक होती है हल्दी
हल्दी को सभी सब्जियों में डाला जाता है जिसका एक कारण यह होता है की हल्दी प्राकृतिक रूप से पाचन को दुरुस्त करती है। यह आँतों को मजबूत करती है और मेटाबॉलिज्म को भी बूस्ट करने में सहायक होती है। हल्दी पाचन अग्नि को बढाकर, पाचन में सहायता करने का गुण प्राकृतिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके जीवाणुरोधी गुण आंतिक्रियाओं को सुधारने के लिए भी जाने जाते हैं, जिससे आंत के संरक्षण में मदद होती है।
इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में लाभकारी
हल्दी शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढाने में बहुत उपयोगी होती है। कच्ची हल्दी एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों से युक्त होती है। इसे आप सब्जी या
दूध के साथ सेवन करने से यह रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है और संक्रमण जनित विकारों को दूर करने में सहायक भी होती है। करक्यूमिन को रक्त-मस्तिष्क बाधा को पार करते हुए दिखाया गया है, और अध्ययनों से पता चलता है कि यह मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। यह मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (बीडीएनएफ) के स्तर को बढ़ा सकता है, एक विकास हार्मोन जो मस्तिष्क में कार्य करता है, संभावित रूप से मस्तिष्क रोगों में देरी या यहां तक कि उलट भी सकता है और मस्तिष्क के कार्य में उम्र से संबंधित कमी हो सकती है.
दर्द और सुजन को दूर करने के लिए
हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सुजन को दूर कर जोड़ों के दर्द को भी कम करने में सहायक है। यही कारण है की आयुर्वेद में हल्दी के गुणों को समझ कर इसका उपयोग अनेकों ओषधियों के निर्माण में भी किया जाता रहा है। सुजन दूर करने के लिए पारम्परिक रूप से हल्दी का पट्टा बाँधा जाता है। हल्दी में पाए जाने वाले कुरक्यूमिन एक प्राकृतिक औषधीय सूजन रोधी है। कुरक्यूमिन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है जो सूजन को कम करने और रोगों से लड़ने में मदद करते हैं। यह विभिन्न रोगों, जैसे कि आर्थराइटिस, कैंसर, डायबिटीज, और हृदय रोगों से जुड़े सूजन को कम करने में सहायक हो सकता है। हल्दी का नियमित सेवन सूजन को नियंत्रित करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
स्किन के लिए गुणकारी
हल्दी का उपयोग त्वचा की निखार बढाने और झुर्रियों को दूर करने के लिए भी लेप् के लिए किया जाता है। हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा की सूजन, मुंहासों को कम करते हैं। हल्दी और दूध का मिश्रण त्वचा के लिए आरामदायक है, पित्त उत्पादन को नियंत्रित करके सूजन और गैस से राहत प्रदान करता है। इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं, जो आंत के संक्रमण से बचाता है। हल्दी के एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर की रक्षा तंत्र को सुधारकर स्वस्थ रख सकते हैं। दूध और हल्दी का नियमित सेवन त्वचा को गोल्डन ग्लो और स्वस्थ बनाता है।
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