नी मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया
नी मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया
नी मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया,
मेरी मैया दा द्वारा सारे जग तो न्यारा,
नी मैं आना जाना भूल गईया,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
कख कर दें लख मैया दिया नज़रा,
इस दर बाझो होर किथे दर ना,
एथे लबदा सहारा नी सईयो,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
मंगिया मुरादा इस दर उत्तो पा लवो,
दस के कहानी दुःख दिल दे मुका लवो,
एथे वखरा नज़ारा सारे जग तो न्यारा,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
मईया दे द्वारे दी शान निराली ए,
रजदे ने सारे जावे कोई वी ना खाली ए,
इस दासी दा भरया भंडार दाती ने,
सानू लगदा प्यारा दरबार दाती दा,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
मेरी मैया दा द्वारा सारे जग तो न्यारा,
नी मैं आना जाना भूल गईया,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
कख कर दें लख मैया दिया नज़रा,
इस दर बाझो होर किथे दर ना,
एथे लबदा सहारा नी सईयो,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
मंगिया मुरादा इस दर उत्तो पा लवो,
दस के कहानी दुःख दिल दे मुका लवो,
एथे वखरा नज़ारा सारे जग तो न्यारा,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
मईया दे द्वारे दी शान निराली ए,
रजदे ने सारे जावे कोई वी ना खाली ए,
इस दासी दा भरया भंडार दाती ने,
सानू लगदा प्यारा दरबार दाती दा,
मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया।
SSDN:-नी मैया तेरे तो बगैर मैं ता रुल गईया | Mata Rani bhajan | Devi bhajan | Navratri special
माँ के बिना जीवन सूना है, जैसे कोई अनाथ हृदय राह भटकता फिरे। उनका दर वह पवित्र स्थान है, जो सारे संसार से अनूठा, हर दुख को हरने वाला है। वहाँ पहुँचकर आत्मा भूल जाती है कि दुनिया में और कहीं जाना है। माँ की एक झलक, उनकी कृपा की नजर, लाखों दुखों को पल में मिटा देती है। उदाहरण के लिए, जैसे कोई तपती रेत में ठंडे जल का झरना पा ले, वैसे ही उनके द्वार पर सहारा मिलता है।
हर मनोकामना उस दर पर पूरी होती है, जहाँ दुखों की कहानी कहने से मन हल्का हो जाता है। वहाँ का नजारा इतना अलौकिक है कि सारी दुनिया फीकी लगने लगती है। माँ का दरबार ऐसी शक्ति से भरा है कि कोई खाली हाथ नहीं लौटता। उनकी दासी का जीवन उनके आशीर्वाद से भंडारों-सा भर जाता है। वह दरबार इतना प्यारा है कि आत्मा बार-बार वहीं लौटना चाहती है, क्योंकि माँ के बिना तो बस आँसुओं का मेला है।
हर मनोकामना उस दर पर पूरी होती है, जहाँ दुखों की कहानी कहने से मन हल्का हो जाता है। वहाँ का नजारा इतना अलौकिक है कि सारी दुनिया फीकी लगने लगती है। माँ का दरबार ऐसी शक्ति से भरा है कि कोई खाली हाथ नहीं लौटता। उनकी दासी का जीवन उनके आशीर्वाद से भंडारों-सा भर जाता है। वह दरबार इतना प्यारा है कि आत्मा बार-बार वहीं लौटना चाहती है, क्योंकि माँ के बिना तो बस आँसुओं का मेला है।
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