पतंजलि रसराज रस के फायदे उपयोग घटक Patanjali Rasraj Ras Benefits Uses Ingredients
रसराज रस के फायदे/लाभ Patanali Rasraj Ras Benefits
- आयुर्वेद विज्ञान में रसराज रस को एक उत्तम रसायन कहा गया है जो शारीरिक कमजोरी दूर करने वाला, शरीर की शक्ति और ओज को बढ़ाने वाला, मानसिक कमजोरी, अवसाद को दूर करने वाला कहा गया है।
- शारीरिक कमजोरी के अतिरिक्त रसराज रस मानसिक कमजोरी दूर कर स्मरण शक्ति का विकास करने वाला, भ्रम और अवसाद को मिटाने वाला है।
- यह भ्रम, स्मरण शक्ति का लोप, मानसिक कमजोरी को दूर करती है।
- रसराज रस वात विकारों को दूर करने के लिए विशेष रूप से उत्तम परिणाम देने वाला होता है।
- यह त्रिदोष नाशक है, आशय है की यह ओषधि वात, कफ और पित्त को संतुलित करती है। विशेष रूप से यह वात जनित विकारों में लाभकारी है।
- मिर्गी और पक्षाघात में लाभकारी है।
- चेहरे के पक्षाघात के इलाज के लिए विशेष उपयोगी है।
- लकवा और मूर्छा को दूर करने में रसराज रस के विशेष परिणाम प्राप्त होते हैं।
- कई बार बचपन में अधिक हस्तमैथुन से कमजोरी आ जाती है जिसे दूर करने के लिए यह ओषधि सक्षम है। अधिक हस्तमैथुन जनित दुर्बलता को दूर करने में लाभकारी है।
- शरीर में लोह की कमजोरी को दूर कर अनीमिया में लाभकारी।
- मांशपेशियों की कमजोरी/शिथिलता को दूर कर उनको पुष्ट और शक्तिशाली बनाता है।
- वातजनित विकार यथा जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, पक्षाघात, मुंह का एक तरफ टेढ़ा हो जाना, शरीर की कमजोरी, गठिया रोग, गर्दन का दर्द आदि में लाभकारी।
- वृद्धावस्था के दर्द/कमजोरी और दुर्बलता को दूर करने, शारीरिक कमजोरी को दूर करने में विशेष रूप से लाभकारी है।
- मस्तिष्क की कोशिकाओं की कमजोरी को दूर कर नर्वस सिस्टम के लिए लाभकारी।
- सूजन/एंटी इफ्लेमेंटरी गुण होने के कारण शरीर की आंतरिक सूजन को दूर करने में लाभकारी।
- कार्डियक टॉनिक गुणों के कारण हृदय विकारों को दूर करने में हितकर।
- यह ओषधि महिलाओं के लिए लाभकारी है, यह गर्भाशय की दुर्बलता को दूर करने में सहायक है।
- तंत्रिका तंत्र के विकार यथा पक्षाघात, हेमटेजिया और चेहरे के पक्षाघात आदि को दूर करने के लिए गुणकारी है।
- पतंजलि रसराज रस जीवन शक्ति और ओजवर्धक है।
- यह ओषधि हृदय की कमजोरी में लाभकारी।
- प्रमेह रोग में लाभकारी।
- वातवाहिनी नाड़ी के सुधार में लाभकारी है।
- महिला एवं पुरुष दोनों के यौन रोगों में यह कारगर औषधि एंव प्रभावी।
- मूत्र विकारों को दूर करने के लिए।
- यह ओषधि शुक्रवर्धक है |
- रक्तादि धातुओं का वर्धन कर शक्ति देने वाली ओषधि है।
- रसराज रस उच्च रक्तचाप की समस्या लाभकारी।
- हड्डियों की कमजोरी को दूर कर हड्डियों को मजबूती देता है।
- यह ओषधि रोग प्रतिरोधक क्षमता/प्रतिरक्षा को बढ़ाती हैं।
- यह ओषधि के सेवन से हार्मोन संतुलित होते हैं और महिलाओं में, समग्र कल्याण करने में लाभकारी है।
- अवसाद और तनाव को दूर करने में डाबर रसराज रस के विशेष लाभ हैं।
- कफ निस्सारक और ब्रोन्कोडायलेटर गुणों के कारण कफ को दूर कर फेफड़ों को पुष्ट करने के लिए।
- पाचन अग्नि को संतुलित कर पाचन को सुधार कर दुर्बलता को दूर करने में लाभकारी है।
- रसराज रस का नियमित सेवन थकान और कमजोरी को दूर करती है।
- इसका उपयोग विभिन्न तंत्रिका-मांसपेशीय स्थितियों के इलाज में किया जाता है, जैसे पैरालिसिस, हेमिप्लीजिया, फेसियल पैरालिसिस, सुनने की कमी, और चक्कर।
- आयुर्वेदा में वात दोष तीनों दोषों में से एक है। यह शरीर, मन, और आत्मा की गति के लिए जिम्मेदार है। जब वात दोष असंतुलित होता है, तो इससे विभिन्न तंत्रिका-मांसपेशीय स्थितियाँ हो सकती हैं। रसराज रस वात दोष को संतुलित करने में मदद करता है और तंत्रिका-मांसपेशीय विकारों के जोखिम को कम करता है।
- इसमें कई जड़ी-बूटियाँ और खनिज हैं जो शरीर को मजबूत करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। यह तंत्रिका-मांसपेशीय स्थितियों के साथ लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह उन्हें तेजी से स्वस्थ होने और कठिनाइयों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
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रसराज रस के उपयोग Uses/Indication of Patanjali Rasraj Ras
रसराज रस का उपयोग निम्न विकारों में किया जाता है -
- गाउट (Gout)
- श्वसन समस्याएं (Respiratory problems)
- मिर्गी (Seizures)
- मानसिक कमजोरी (Mental weakness)
- शारीरिक कमजोरी (Physical weakness)
- जोड़ों के दर्द, कमर दर्द (Joint pain, back pain)
- लिवर विकार (Liver disorders)
- हृदय की मांशपेशियों के इलाज (Treatment of cardiac muscles)
- भ्रम, अवसाद और चिंता (Vertigo, depression, and anxiety)
- यौन दुर्बलता (Sexual weakness)
- नपुंसकता (Impotence)
- चक्कर (Dizziness)
- सुनने में कमी (Hearing loss)
- कमजोर मांसपेशियाँ (Weak muscles)
- खराब रक्त संचार (Poor circulation)
- सीज़र्स (Seizures),
- गठिया (Arthritis), ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (Trigeminal Neuralgia)
- सिरदर्द (Headache), माइग्रेन (Migraine), वास्कुलर हेडेच (Vascular Headache)
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)
- पक्षाघात - Paralysis (Pakshaghata)
- आर्दित - Facial Palsy (Ardita)
- हनुस्तम्भ - Locked Jaw (Hanustambha)
- आतंकतावर्ती विकार - Aneurological Disorder (Apatanaka, Apatantraka)
- टीटनस, कमर दर्द - Tetanus, Back Stiffness (Dhanustambha)
- बहरापन, सुनने में कठिनाई - Deafness, Hearing Difficulties (Badhirya)
- मानसिक विकार, शिजोफ्रेनिया - Psychological Disorders, Schizophrenia (Mastakabhrama)
- बल और प्रतिरक्षा में सुधार - Improves Strength and Immunity (Balya), वृष्य - Aphrodisiac (Vrushya)
पतंजलि रसराज रस सेवन विधि /खुराक Patanjali Rasraj Ras Consumption Method/Dosage
These medicines give result in very small quantity. Hence all these medicines should be used under the supervision of experienced 'vaidhyas' and with proper food supplements.यह महत्वपूर्ण है कि इसे बिना डॉक्टर की सलाह के न लिया जाए, क्योंकि यह आपके द्वारा ली जा रही अन्य दवाओं के साथ प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है, इसलिए रसराज रस शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को आपकी किसी भी चिकित्सा स्थिति के बारे में सूचित करना महत्वपूर्ण है।
- इसे सामान्यत: दिन में दो बार, एक गोली के रूप में लिया जाता है।
- इसे खाने के साथ या बिना खाने के साथ लिया जा सकता है।
- यदि आप रसराज रस को भोजन के साथ ले रहे हैं, तो इसे खाने से कम से कम 30 मिनट पहले या बाद में लेना उत्तम है।
- इसे एक गिलास पानी के साथ लेना चाहिए।
- सुझाई गई खुराक से अधिक न लें।
- रसराज रस लेने से पहले अपने डॉक्टर को आपकी सारी दवाओं के बारे में बताएं।
- रसराज रस सभी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। रसराज रस शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर को आपकी किसी भी चिकित्सा स्थिति के बारे में बताएं।
- यदि आप किसी भी प्रकार के प्रतिक्रिया महसूस करते हैं, तो रसराज रस लेना बंद करें और तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यदि आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दोनों ही दवाएं साथ में सुझाई जाती हैं, तो एलोपैथिक दवा को पहले लेना सर्वोत्तम है। एलोपैथिक दवा लेने के बाद, 30 मिनट का इंतजार करें। फिर, 15 - 30 मिनट के अंतराल के बाद, आयुर्वेदिक दवा लें, या चिकित्सक के निर्देशों का पालन करें। इस स्थिति में दोनों प्रकार की दवाओं के बीच संभावित प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
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Ingredients Divya Patanjali in Rasraj Ras
- रस सिन्दूर Ras sindoor,
- अभ्रक भस्म Abhrak bhasma,
- स्वर्ण भस्म swarna bhasma, etc.
- मोती पिष्टी Moti Pishti,
- प्रवाल भस्म Praval Bhasma,
- लोह भस्म Loha Bhasma,
- रोप्य भस्म Ropya Bhasma,
- अश्वगंधा Ashwagandha,
- लवंग Lavang,
- जावित्री Javitri,
- जायफल Jaiphal,
- काकोली Kakoli.
- Parada – Purified and processed Mercury – 40 grams
- Abhrakasatva – Purified and processed Silica – 10 grams
- Swarna Bhasma – Gold Bhasma – 5 grams
- Loha Bhasma – Iron Bhasma – 5 grams
- Rajata Bhasma – Silver Bhasma – 5 grams
- Vanga Bhasma – Tin Bhasma – 5 grams
- वजीगंधा (Vajigandha) - Withania somnifera
- लवंग (Lavanga - Clove - Syzygium aromaticum)
- जातिकोषा (Jatikosha - Nutmeg - Myristica fragrans)
- क्षीरकाकोली (Ksheerakakoli - Fritillaria roylei)
Face paralysis, muscles problem and makes brain and the body healthy. High quality 'ras rasayan', with gold contents. In divya pharmacy, with ultra-modern refinery process, gold is refined and with the process specified in 'shastras', with utmost care under the supervision of experienced and experts vaidhyas, 'bhasmas' are prepared. Thereafter it is mixed to prepare miraculous gold element containing medicines. In many complex diseases, when the normal medicines fail, gold particle containing medicines are sure-shot treatment.Manufacturers of Rasaraj ras
- धूतपापेश्वर (Dhootapapeshwar)
- ऊमा आयुर्वेदिक्स प्रा. लि. (Uma Ayurvedics Pvt. Ltd.)
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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