कदम पे झूला झूले कन्हाई भजन
कदम पे झूला झूले कन्हाई भजन
सावन की रुत मन भायी,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई,
झूले कन्हाई,
झूला झूले कन्हाई,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
मुख मुस्कान मोहनी प्यारी,
बांकी नयन पे जग बलिहारी,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
चंदन का पाटा रेशम की डोरी,
जा पे श्याम की छवि अति भोरी,
सखियाँ लख मुस्काई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
नाचे मोर कोयलिया गाए,
पपीहा पीहू की रटन लगाए,
फूलों की महक लुटाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
देव लोक से देवता आए,
झूला देख सभी हर्षाए,
कजरी शुभम रूपम ने गाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
सावन की रुत मन भायी,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई,
झूले कन्हाई,
झूला झूले कन्हाई,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई,
झूले कन्हाई,
झूला झूले कन्हाई,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
मुख मुस्कान मोहनी प्यारी,
बांकी नयन पे जग बलिहारी,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
चंदन का पाटा रेशम की डोरी,
जा पे श्याम की छवि अति भोरी,
सखियाँ लख मुस्काई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
नाचे मोर कोयलिया गाए,
पपीहा पीहू की रटन लगाए,
फूलों की महक लुटाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
देव लोक से देवता आए,
झूला देख सभी हर्षाए,
कजरी शुभम रूपम ने गाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
सावन की रुत मन भायी,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई,
झूले कन्हाई,
झूला झूले कन्हाई,
काली बदरिया है छाई,
कदम्ब पे झूला झूले कन्हाई।।
Jhula Jhule Kanhaai - Shubham Rupam | Latest Sawan Bhajan 2025 | झूला झूले कन्हाई
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सावन का महीना प्रकृति और आत्मा के मिलन का प्रतीक है, जहाँ वर्षा की फुहारें मन को शीतलता प्रदान करती हैं और हरियाली चारों ओर जीवन का उत्सव मनाती है। इस मौसम में हृदय एक अनुपम आनंद में डूब जाता है, मानो सृष्टि स्वयं ईश्वरीय प्रेम के रंग में रंगी हो। कदम्ब के वृक्ष, जो अपनी छाँव और सुगंध से मन को मोह लेते हैं, उस परम सत्ता की उपस्थिति का आभास कराते हैं, जो सौंदर्य और प्रेम के रूप में प्रकट होती है। यह दृश्य भक्त के मन में एक ऐसी भक्ति जागृत करता है, जो न केवल बाहरी प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करती है, बल्कि अंतर्मन को भी उस अनंत स्रोत की ओर ले जाती है, जहाँ प्रेम और आनंद का झूला झूलता है।
इस पवित्र माहौल में, जहाँ मोर नाचते हैं, कोयल गाती है और फूलों की सुगंध हवा में तैरती है, एक अलौकिक छवि उभरती है, जो मन को मोह लेती है। यह छवि उस सौंदर्य की है, जो न केवल नेत्रों को अपितु आत्मा को भी आकर्षित करती है। सखियों का हँसना, देवताओं का उत्सव में शामिल होना, और प्रकृति का हर कण उस परम सत्ता के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करता हुआ प्रतीत होता है। यहाँ चंदन और रेशम जैसे शुद्ध और कोमल तत्व उस पवित्रता का प्रतीक बनते हैं, जो भक्ति के मार्ग को सुगंधित और सुंदर बनाती है। यह दृश्य भक्त को उस अनंत प्रेम की ओर ले जाता है, जहाँ हर ध्वनि, हर रंग, और हर भाव ईश्वर के प्रति समर्पण का गीत गाता है।
Title : Jhula Jhule Kanhaai
Singer : Shubham Rupam
Lyrics : Pappu Bedharak Ji
Music : Shivam Upadhyay
Mixed & Mastered : Abhishek Prajapati
Director : Shaiman
Studio : Gayatri Studios
Singer : Shubham Rupam
Lyrics : Pappu Bedharak Ji
Music : Shivam Upadhyay
Mixed & Mastered : Abhishek Prajapati
Director : Shaiman
Studio : Gayatri Studios
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Admin - Saroj Jangir
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