श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती भजन
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती भजन
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
दीपक चू गई बाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
नैनन अंजन नीर बहाई
कारी भोरी एक बनाई
नैनन अंजन नीर बहाई
कारी भोरी एक बनाई
चिंता चाह लगन सब छूटी
पाथर भई मोरी छाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
विष भेजो चाहे प्राण निकारो
लेकिन मन सो ना जाए कारो
विष भेजो चाहे प्राण निकारो
लेकिन मन सो ना जाए कारो
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
मिल जई है दिन राती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
बालपन में नेह लगायो
पायो उन्हें सबकुछ बिसरायो
बालपन में नेह लगायो
पायो उन्हें सबकुछ बिसरायो
रायो ऐसो विरह की जो सुधि
होती काहे को दिन राती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
दीपक चू गई बाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
दीपक चू गई बाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
नैनन अंजन नीर बहाई
कारी भोरी एक बनाई
नैनन अंजन नीर बहाई
कारी भोरी एक बनाई
चिंता चाह लगन सब छूटी
पाथर भई मोरी छाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
विष भेजो चाहे प्राण निकारो
लेकिन मन सो ना जाए कारो
विष भेजो चाहे प्राण निकारो
लेकिन मन सो ना जाए कारो
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
मिल जई है दिन राती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
बालपन में नेह लगायो
पायो उन्हें सबकुछ बिसरायो
बालपन में नेह लगायो
पायो उन्हें सबकुछ बिसरायो
रायो ऐसो विरह की जो सुधि
होती काहे को दिन राती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
श्याम बिना मोरे घर अंधियारो
दीपक चू गई बाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती
श्याम बिना कौन पढ़े मोरी पाती... Shyam Bhajan By Dhiraj Kant. 8010788843.
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यह पद मीरा के विरह और शरणागति की गहन अनुभूति है, जहाँ वे कहती हैं कि श्याम बिना उनका घर अंधियारों से भर जाता है, दीपक है पर बाती बुझ चुकी है, जीवन तो है पर उसमें कोई ज्योति नहीं। उनके हृदय के अक्षर, उनकी पीड़ा, उनकी चिट्ठी केवल श्याम ही पढ़ सकते हैं, संसार नहीं। आँसू ही उनके नयन का अंजन बन गए हैं, विरह ही उनका श्रृंगार है, और इस प्रेम में संसार की सारी चिंताएँ और इच्छाएँ छूट गई हैं, हृदय पत्थर सा निरासक्त हो गया है। मृत्यु आए या विषपान हो, इससे उनकी भक्ति में कमी नहीं आती, क्योंकि दिन-रात उनके मन में गिरधर नागर ही बसते हैं। मीरा स्मरण करती हैं कि बचपन से ही उनका नेह श्याम से जुड़ा था, उसी में डूबकर उन्होंने जगत-विस्मृति पाई और अब विरह की ऐसी अवस्था है कि दिन-रात एक सी जान पड़ती है। इस प्रकार वे निष्कर्ष करती हैं कि श्याम बिना उनका जीवन अधूरा है, उनकी पीड़ा और प्रीत का रहस्य वही पढ़ और समझ सकते हैं।
Singer- Dhiraj Kant.
Lyrics- Meera Bai
Tabla- Jayprakash Kumar.
Recording-Sumit Mishra.
Lyrics- Meera Bai
Tabla- Jayprakash Kumar.
Recording-Sumit Mishra.
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Author - Saroj Jangir
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