आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
यह साधना की माटी है यह सर्जना की धरती है
संघर्ष शहादत की महान मूर्ति है
यहां एकता का कीर्तन है सद्भाव की आरती है
यह पूजनीय यह साझा संस्कृति है
मानवता ही धर्म यहां है जाति भाईचारा
अमन प्रेम का चंदन सर माथे पर है धारा
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
सरयू कुंवर सिलनी घाघरा तमसा की है धार यहां
हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब का दर्शन सार यहां
चरण पादुका साहिब के चरणों की पावन धाम यहां
चरण धरे प्रभु रामचंद्र जी किये कभी विश्राम यहां
ज्ञानी ध्यानी ऋषियों मां अनुसूया जी का पलना है
अत्रि चंद्रमा दत्तात्रेय दुर्वासा जी का आंगन है
सत्य सनातन मूल्यों का यह कलकल बहता झरना है
अजान आरती और अरदास इसके तन का गहना है
सन सत्तावन के संग्राम की गूंज यहां
पलना भैरव और हरिहर की तान यहां
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
सांकृत्यायन अल्लामा शिब्ली चंद्रबली की दृष्टि है
गीत ग़ज़ल साहित्य लेखकों और कवियों की सृष्टि है
विश्वनाथ हरिऔध सोहेल कहती बिरही लक्ष्मी की
सामाजिक अनुभूति इनकी और विचारों की शक्ति है
ब्लैक पॉटरी और मुबारकपुर की साड़ियां शान कहें
जय जवान और जय किसान का नारा यहां परवान चढ़े
तन मन धन न्योछावर इस पर जीवन इसके नाम करें
स्वर्ग से सुंदर जिला हो अपना मिलकर ऐसा काम करें
सेवाभावी परिवर्तन उपदेश हमारा
एक आंगन हम एक कुटुंब संदेश हमारा
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
संघर्ष शहादत की महान मूर्ति है
यहां एकता का कीर्तन है सद्भाव की आरती है
यह पूजनीय यह साझा संस्कृति है
मानवता ही धर्म यहां है जाति भाईचारा
अमन प्रेम का चंदन सर माथे पर है धारा
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
सरयू कुंवर सिलनी घाघरा तमसा की है धार यहां
हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब का दर्शन सार यहां
चरण पादुका साहिब के चरणों की पावन धाम यहां
चरण धरे प्रभु रामचंद्र जी किये कभी विश्राम यहां
ज्ञानी ध्यानी ऋषियों मां अनुसूया जी का पलना है
अत्रि चंद्रमा दत्तात्रेय दुर्वासा जी का आंगन है
सत्य सनातन मूल्यों का यह कलकल बहता झरना है
अजान आरती और अरदास इसके तन का गहना है
सन सत्तावन के संग्राम की गूंज यहां
पलना भैरव और हरिहर की तान यहां
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
सांकृत्यायन अल्लामा शिब्ली चंद्रबली की दृष्टि है
गीत ग़ज़ल साहित्य लेखकों और कवियों की सृष्टि है
विश्वनाथ हरिऔध सोहेल कहती बिरही लक्ष्मी की
सामाजिक अनुभूति इनकी और विचारों की शक्ति है
ब्लैक पॉटरी और मुबारकपुर की साड़ियां शान कहें
जय जवान और जय किसान का नारा यहां परवान चढ़े
तन मन धन न्योछावर इस पर जीवन इसके नाम करें
स्वर्ग से सुंदर जिला हो अपना मिलकर ऐसा काम करें
सेवाभावी परिवर्तन उपदेश हमारा
एक आंगन हम एक कुटुंब संदेश हमारा
शान यही पहचान यही यही है अभिमान हमारा
आजमगढ़ सम्मान हमारा आजमगढ़ अभिमान हमारा
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यह काव्यांश आज़मगढ़ की सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का भव्य चित्रण करता है, जहाँ साधना और सृजन की मिट्टी गहरी पहचान रखती है। यह धरती केवल संघर्ष और शहादत की गाथाओं से ही नहीं, बल्कि एकता, सद्भाव, और साझा संस्कृति के जीवंत स्वरूप से भी जगमगाती है। सरयू, तमसा, कुँवर, सिलनी और घाघरा जैसी नदियाँ इस क्षेत्र को पावन बनाती हैं, तो वहीं गुरु ग्रंथ साहिब के हस्तलिखित पृष्ठ और प्रभु रामचंद्र के विश्राम स्थल इसकी आस्था को विराट स्वरूप प्रदान करते हैं। ऋषि अत्रि, माता अनुसूया, दत्तात्रेय और दुर्वासा जी जैसे ज्ञानी-ध्यानी तपस्वियों का आश्रयस्थल यह भूमि सनातन मूल्यों का सतत प्रवाह बनकर बहती है, जहाँ अजान, आरती और अरदास मिलकर गंगा-जमुनी तहज़ीब का गहना सजाते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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