तुलसा महारानी तेरी जय होवे
तुलसा महारानी तेरी जय होवे भजन
तुलसा महारानी तेरी जय होवे,
हरि की पटरानी तेरी जय होवे,
तेरी जय होवे तेरी जय होवे,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
कहां बैठी तुलसा कहां बैठे रामजी,
और कहां बैठे मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
अंगना बैठी तुलसा सिंहासन पर रामजी,
और छज्जे पर बैठे मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या खावें तुलसा क्या खावें रामजी,
और क्या खावें मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
लड्डू खावें तुलसा पेड़ा खावें रामजी,
माखन मिश्री के खिबेया,
मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या पीवें तुलसा क्या पीवें रामजी,
और कहा पीवें मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
जल पीवें तुलसा दूध पीवें राम जी,
दही छाछ के पिबेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या ओढे तुलसा क्या ओढ़े रामजी,
और काहे के उढेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
सोल ओढे तुलसा दुशाला ओढ़े रामजी,
काली कमली के उढेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
हरि की पटरानी तेरी जय होवे,
तेरी जय होवे तेरी जय होवे,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
कहां बैठी तुलसा कहां बैठे रामजी,
और कहां बैठे मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
अंगना बैठी तुलसा सिंहासन पर रामजी,
और छज्जे पर बैठे मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या खावें तुलसा क्या खावें रामजी,
और क्या खावें मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
लड्डू खावें तुलसा पेड़ा खावें रामजी,
माखन मिश्री के खिबेया,
मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या पीवें तुलसा क्या पीवें रामजी,
और कहा पीवें मेरे शालिग्राम जी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
जल पीवें तुलसा दूध पीवें राम जी,
दही छाछ के पिबेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
क्या ओढे तुलसा क्या ओढ़े रामजी,
और काहे के उढेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
सोल ओढे तुलसा दुशाला ओढ़े रामजी,
काली कमली के उढेया मेरे शालिग्रामजी,
तुलसा महारानी तेरी जय होवे।
तुलसा महारानी तेरी जय होवे ।। TULSA MAHARANI TERI JAI HOVE ।। #TULSABHAJAN
सुंदर भजन में तुलसी महारानी, भगवान राम और शालिग्रामजी की महिमा है। श्रद्धा भरी पुकार है, जो तुलसी को हरि की पटरानी मानकर उनकी जय-जयकार करता है। यह प्रेम का वह रंग है, जो तुलसी, रामजी और शालिग्रामजी को एक साथ जोड़कर हर भक्त के मन को भक्ति से भर देता है।तुलसी का आँगन में, रामजी का सिंहासन पर और शालिग्रामजी का छज्जे पर बैठने का वर्णन उस पवित्र एकता को दर्शाता है, जो भक्त के घर को मंदिर बना देता है। जैसे कोई विद्यार्थी अपने गुरु की उपस्थिति को हर जगह महसूस करता है, वैसे ही यहाँ भक्त तुलसी और प्रभु को अपने जीवन का हिस्सा मानता है। यह वह विश्वास है, जो हर स्थान को पवित्र बना देता है।
तुलसी (Holy Basil) अत्यंत पवित्र और पूजनीय मानी जाती है। इसे "विष्णुप्रिया" और "हरिप्रिया" भी कहा जाता है, क्योंकि यह भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। तुलसी माता को धरती पर लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है। घर में तुलसी का पौधा लगाने और उसकी नियमित पूजा करने से वातावरण शुद्ध, पवित्र और सकारात्मक रहता है।
तुलसी की पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, सौभाग्य और संतति की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे के पास नकारात्मक ऊर्जा, रोग, दरिद्रता और बुरी शक्तियाँ नहीं टिकतीं। तुलसी के पत्तों का उपयोग भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, राम आदि की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है।
धार्मिक दृष्टि से तुलसी विवाह, तुलसी-विवाह, एकादशी, कार्तिक मास और अन्य शुभ अवसरों पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। आयुर्वेद में तुलसी को औषधीय गुणों की खान कहा गया है—यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, मन को शांत करती है, और विभिन्न रोगों से रक्षा करती है।
तुलसी की पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि, स्वास्थ्य, सौभाग्य और संतति की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे के पास नकारात्मक ऊर्जा, रोग, दरिद्रता और बुरी शक्तियाँ नहीं टिकतीं। तुलसी के पत्तों का उपयोग भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, राम आदि की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है।
धार्मिक दृष्टि से तुलसी विवाह, तुलसी-विवाह, एकादशी, कार्तिक मास और अन्य शुभ अवसरों पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। आयुर्वेद में तुलसी को औषधीय गुणों की खान कहा गया है—यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, मन को शांत करती है, और विभिन्न रोगों से रक्षा करती है।
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