आया कार्तिक मास दीप तुलसा मैं जलाऊंगी लिरिक्स Aaya Kartik Mas Bhajan Lyrics

कार्तिक मास को हिन्दू धर्म में एक पवित्र महीना माना जाता है। इस महीने में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान और त्योहार मनाए जाते हैं। कार्तिक मास में दीपदान और तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। कार्तिक मास में दीपदान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस महीने में दीपदान करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है। कार्तिक मास में दीपदान करने के कई तरीके हैं। सबसे आम तरीका है कि घर के बाहर और मंदिरों में दीपक जलाए जाएं। इसके अलावा, लोग दीपदान के लिए दीपों की रैली निकालते हैं।

कार्तिक मास में तुलसी पूजन का भी विशेष महत्व है। तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में पूजा जाता है। इस महीने में तुलसी पूजन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि और आरोग्य आता है। कार्तिक मास में तुलसी पूजन करने के कई तरीके हैं। सबसे आम तरीका है कि तुलसी के पौधे को स्नान कराएं और उसे साफ कपड़े से पोंछ लें। फिर, तुलसी के पौधे के सामने एक चौकी लगाएं और उस पर तुलसी के पत्ते, चावल, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य रखें। फिर, तुलसी की आरती करें और उसे प्रणाम करें। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु की योग निद्रा चार महीने तक रहती है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु की योग निद्रा समाप्त होती है और वे सृष्टि में गति और परिवर्तन लाते हैं। कार्तिक मास में भगवान विष्णु के जागने के साथ ही सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है। कार्तिक मास एक बहुत ही शुभ और पवित्र महीना है। इस महीने में दीपदान और तुलसी पूजन करने से मनुष्य को कई लाभ होते हैं।

आया कार्तिक मास दीप तुलसा मैं जलाऊंगी लिरिक्स Aaya Kartik Mas Bhajan Lyrics

आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी,
आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी।

जब तुलसा लक्ष्मी बन आई,
विष्णु जी के मन को भाई,
बन गई उनकी दुल्हनिया,
दीप तुलसा मैं जलाऊगी,
आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी।

जब तुलसा गौरा बन आई,
भोले जी के मन को भाई,
बन गई उनकी दुल्हनिया,
दीप तुलसा मैं जलाऊगी,
आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी।

जब तुलसा सीता बन आई,
रामा जी के मन को भाई,
बन गई उनकी दुल्हनिया,
दीप तुलसा मैं जलाऊगी,
आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी।

जब तुलसा राधा बन आई,
कान्हा जी के मन को भाई,
बन गई उनकी दुल्हनिया,
दीप तुलसा मैं जलाऊगी,
आया कार्तिक मास,
दीप तुलसा मैं जलाऊंगी।
 


 
यह एक लोकप्रिय हिंदी भजन है जो कार्तिक मास में तुलसी पूजन के महत्व को दर्शाता है। इस भजन में, एक महिला कहती है कि वह कार्तिक मास में तुलसी के पौधे के सामने एक दीपक जलाएगी। वह तुलसी को विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की पत्नी के रूप में देखती है, जैसे कि लक्ष्मी, गौरी, सीता, और राधा। वह तुलसी को अपने घर में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद लाने के लिए बुलाती है।
इस भजन का अर्थ निम्नलिखित है:
पहला श्लोक - महिला कहती है कि वह कार्तिक मास में तुलसी के पौधे के सामने एक दीपक जलाएगी। वह तुलसी को अपनी आराध्य देवी मानती है।
दूसरा श्लोक - महिला कहती है कि तुलसी लक्ष्मी के रूप में भगवान विष्णु की पत्नी बनी। वह तुलसी को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक मानती है।
तीसरा श्लोक - महिला कहती है कि तुलसी गौरी के रूप में भगवान शिव की पत्नी बनी। वह तुलसी को शक्ति और दया का प्रतीक मानती है।
चौथा श्लोक - महिला कहती है कि तुलसी सीता के रूप में भगवान राम की पत्नी बनी। वह तुलसी को आदर्श पत्नी और माता का प्रतीक मानती है।
पांचवां श्लोक - महिला कहती है कि तुलसी राधा के रूप में भगवान कृष्ण की पत्नी बनी। वह तुलसी को प्रेम और भक्ति का प्रतीक मानती है।
यह भजन तुलसी के महत्व और उसकी पूजा के लाभों को दर्शाता है। यह एक लोकप्रिय भजन है जो हर साल कार्तिक मास में गाया जाता है।

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