राम नाम से तूने बंदे क्यूं अपना मुख मोड़ा

राम नाम से तूने बंदे क्यूं अपना मुख मोड़ा

राम नाम से तूने बंदे, क्यूं अपना मुख मोड़ा,
दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा ।।

एक दिन बीता खेलकूद में, एक दिन मौज में सोया,
देख बुढ़ापा आया तो, क्यों पकड़ के लाठी रोया,
अब भी राम सुमिर ले, नहीं तो पड़ेगा काल हथौड़ा,
दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा ।।
राम नाम से तूने बंदे, क्यूं अपना मुख मोड़ा ।।

अमृतमय है नाम हरी का, तू अमृतमय बन जा,
मन में ज्योत जला ले तू, बस हरी के रंग में रंग जा,
डोर जीवन की सौंप हरी को, नहीं पड़ेगा फोड़ा,
दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा ।।
राम नाम से तूने बंदे, क्यूं अपना मुख मोड़ा ।।

क्या लाया, क्या ले जाएगा, क्या पाया, क्या खोया,
वैसा ही फल मिले यहां, जैसा तूने है बोया,
काल शीश पर बैठा इसने, किसी को ना है छोड़ा,
दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा ।।
राम नाम से तूने बंदे, क्यूं अपना मुख मोड़ा ।।

मन के कहे जो चलते हैं, वो दुःख ही दुःख हैं पाते,
माया के वश में जो है, वो घोर नरक में जाते,
जो भी अजर~अमर बनते थे, उनका भी भ्रम तोड़ा,
दौड़ा जाए रे, समय का घोड़ा ।।
राम नाम से तूने बंदे, क्यूं अपना मुख मोड़ा ।।


दौड़ा जाये रे समय का घोड़ा // चेतावनी भजन // आचार्य राजकृष्ण

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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