अहो मेरे सिर पर सिंगा जबरा

अहो मेरे सिर पर सिंगा जबरा

अहो, मेरे सिर पर सिंगा जबरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा,
गुरु, मैं सदा करत हूं मुजरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

अंतःकरण की तुम ही जानो,
अंतःकरण की तुम ही जानो,
अहो गुरु, तुम कारण मैं उबरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

जहाजवान ने तुमको सुमरा,
जहाजवान ने तुमको सुमरा,
अहो गुरु, डूबती जहाज लई उबरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

झाबुआ देश भादरसिंह राजा,
झाबुआ देश भादरसिंह राजा,
अहो गुरु, उनने तुमको सुमरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

राजपाठ कुल छत्र धरिया,
राजपाठ कुल छत्र धरिया,
अहो, खेलावण दिया कुमरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

देवझिरी की मोटी महिमा,
देवझिरी की मोटी महिमा,
अरे, वहां मेला जुड़ी रहया गहरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।

कहे जन दल्लू, सुनो भाई साधो,
कहे जन दल्लू, सुनो भाई साधो,
अहो गुरु, राखो चरण के हजरा,
मेरे सिर पर सिंगा जबरा।।


50 अहो मेरे सिर पर सिंघा जबरा|परचरी पुराण|रमेश महाराज|सिंगाजी भजन|निमाड़ी भजन संग्रह||प्रमोद पटेल

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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