बरस बरस नहिं करि सकैं, ताको लगे दोष |
कहैं कबीर वा जीव सों, कबहु न पावै मोष ||
कहैं कबीर वा जीव सों, कबहु न पावै मोष ||
Baras Baras Nahi Kari Sake Tako Lage Dosh,
Kahe Kabir Va Jeev So, Kabahu Na Pave Moksh.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संतों के दर्शन शुभ हैं, मंगलकारी हैं। संतों के दर्शन बरस में एक बार कर लेने चाहिए। जो संतों के दर्शन करता है, उनके सानिध्य में रहता है उसके दोष नहीं लगता है। ऐसा व्यक्ति जो एक वर्ष में भी संतजन के दर्शन/सानिध्य को प्राप्त नहीं करता है उसको कभी भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि यदि कोई भक्त सालों साल तक सन्तो के दर्शन न कर सके, तो उसे दोष लगता है। कबीर दास जी के अनुसार, सन्त भक्तों के लिए मार्गदर्शक होते हैं। वे भक्तों को ईश्वर के बारे में ज्ञान देते हैं और उन्हें सही मार्ग पर चलने में मदद करते हैं। अतः संतजन के दर्शनों का लाभ लेना चाहिए.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |