दिल में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है
दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।
जिस दिन से पी लिया है,
तेरे नाम का यह प्याला,
मुझको खबर नहीं है,
मेरा दिल किधर गया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है,
श्री गुरु शरणम,
जय गुरु शरणम।
तूने हाथ जिसका थामा,
बांदा बना प्रभु का,
हुई नज़र जिस पे तेरी,
समझो के तर गया है।
दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।
महफ़िल वही है जिसमें,
चर्चा रहे तुम्हारी,
अरे अपना वही है जिसने,
ज़िक्र तेरा किया है।
दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।
तेरी चरण धूलि जब से,
मस्तक को छू गयी है,
मेरी तकदीर बदल गयी है,
जीवन संवर गया है।
दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।
सजदा किसे के आगे,
अब तक किया नहीं था,
सजदा जो अब किया है,
तो सिर ही रख दिया है।
दिल में ना जाने सतगुरु,
क्या रंग भर दिया है,
छोड़ेंगे अब ना दर तेरा,
इकरार कर लिया है।
दिल में ना जाने सतगुरु क्या रंग भर दिया है | भईया कृष्ण दास जी | दिलशाद गार्डन दिल्ली | श्री नन्दिनी
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