केते पढी गुनि पचि मुए योग यज्ञ तप लाय मीनिंग Kete Padhi Guni Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
केते पढी गुनि पचि मुए, योग यज्ञ तप लाय।बिन सतगुरु पावै नहीं, कोटिन करे उपाय॥
Kete Padhi Guni Pachi Gaye, Yog Yagya Tap Lay,
Bin Satguru pave Nahi, Kotin Kare Upay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
सतगुरु के सानिध्य के विषय में कबीर साहेब की वाणी है की कितने ही लोग पढ़ लिखकर, शास्त्रों का अध्ययन करके, योग करके, योग और तप आदि करके मर गए हैं लेकिन भक्ति को प्राप्त नहीं कर पाए। कोई करोड़ों उपाय कर ले लेकिन बिना सतगुरु की शरण के कोई भी ज्ञान की प्राप्ति को नहीं कर पाता है। इस दोहे में संत कबीरदास जी ज्ञान प्राप्ति के लिए सद् गुरु की आवश्यकता को बता रहे हैं। वे कहते हैं कि कितने लोग शास्त्रों को पढ़कर, ज्ञानियों की संगति करके और योग-साधना करके ज्ञानी बनने का ढोंग करते हैं। लेकिन बिना सद् गुरु के ज्ञान और शांति नहीं मिलती।
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