मास मास नहिं करि सकै छठे मास अलबत हिंदी मीनिंग Mas Mas Nahi Kari sake Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
मास मास नहिं करि सकै, छठे मास अलबत |थामें ढ़ील न कीजिये, कहैं कबीर अविगत ||
Mas mas Nahi Kari Sake, Chhathe Mas Albat,
Thame Dheel Na Kijiye, Kahe Kabir Avigat.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
संतजन के सानिध्य और दर्शन मात्र से ही जीवात्मा की मुक्ति संभव है और वह पुण्य को प्राप्त करता है। कबीर साहेब का कथन है की यदि हर महीने साधू के दर्शन/सानिध्य को प्राप्त ना किया जाय, तो छह माह में तो संतों के सानिध्य को प्राप्त करना ही चाहिए। यदि इसमें किसी भी प्रकार की ढील दी जाती है तो ऐसे में जीवात्मा कभी भी पुण्य परमात्मा को / मोक्ष को प्राप्त नहीं हो पाती है। इस दोहे में गुरु कबीरदास जी भक्तों को संतों के दर्शन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे कहते हैं कि यदि कोई भक्त महीने-महीने संतों के दर्शन न कर सके, तो उसे छठे महीने में अवश्य जाना चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता नहीं करनी चाहिए।
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