जीवन है पानी की बूंद लिरिक्स Jivan Hai Pani Ki Bund Song Lyrics
जीवन है पानी की बूंद,
कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी कब,
क्या घट जाए रे।
जितना भी कर जाओगे,
उतना ही फल पाओगे,
करनी जो कर जाओगे,
वैसा ही फल पाओगे,
नीम के तरु में नहीं,
आम दिखाए रे,
जीवन है पानी की बूंद,
कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी कब,
क्या घट जाए रे।
चार दिनों का जीवन है,
इसमें देखो सुख काम है,
जन्म सभी को मालूम है,
लेकिन मृत्यु से गाफ़िल है,
जाने कब तन से,
पंक्षी उड़ जाए रे,
जीवन है पानी की बूंद,
कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी कब,
क्या घट जाए रे।
किस को माने अपना है,
अपना भी तो सपना है,
जिसके लिए माया जोड़ी,
क्या वो तेरा अपना है,
तेरा हो बेटा तुझे,
आग लगाए रे,
जीवन है पानी की बूंद,
कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी कब,
क्या घट जाए रे।
गुरु जिस को छू लेते हैं,
वो कुंदन बन जाता है,
तब तक सुलगता दावानल,
वो सावन बन जाता है,
आतंक का लोहा अब,
पारस कर ले रे,
जीवन है पानी की बूंद,
कब मिट जाए रे,
होनी अनहोनी कब,
क्या घट जाए रे।
Jeevan Hai Pani Ki Boond Kab Mit Jaye Re
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