केसरिया केसरिया आज हमारो मन भजन
केसरिया केसरिया आज हमारो मन भजन
केसरिया केसरिया,
आज हमारो मन केसरिया,
केसरिया केसरिया,
आज हमारो मन केसरिया।
तन केसरिया मन केसरिया,
पूजा के चावल केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया,
केसरिया केसरिया,
आज हमारो मन केसरिया।
हम केसरिया तुम केसरिया,
अष्ट द्रव्य सब हैं केसरिया,
मंदिर की है ध्वजा केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया।
इन्द्र केसरिया इन्द्राणि केसरिया,
सिद्धों की पूजन केसरिया,
पूजा के सब भाव केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया।
वीर प्रभु की वाणी केसरिया,
अहिंसा परमो धर्म केसरिया,
जीयो जीने दो केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया।
पीछी केसरिया कमण्डल केसरिया,
दिगम्बर साधु भी केसरिया,
शत शत वंदन है केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया।
स्वर्णिम रथ देखो केसरिया,
स्वर्ण वरण प्रभुजी केसरिया,
छत्र चंवर ध्वज सब केसरिया,
भक्ति में हम सब केसरिया,
केसरिया केसरिया,
आज हमारो मन केसरिया।
केसरिया केसरिया आज मारो रंग केसरिया जैन भजन Kesariya Aaj Mharo Rung Jain Bhajan
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मन का प्रत्येक कण समर्पण और त्याग के रंग में रंग जाना चाहता है। यह वह क्षण है जब आत्मा बाहरी जगत के रंगों से ऊपर उठकर एक ही रंग में विलीन हो जाती है—उस दिव्यता के, जो स्थिर भी है और गति भी। केसरिया यहाँ केवल रंग नहीं, बल्कि वह अग्नि है जो भीतर के अंधकार को जलाकर सत्व, सत्य और प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करती है। जब मन यह अनुभव करता है कि ईश्वर कोई दूरस्थ सत्ता नहीं, बल्कि स्वयं का गहराई में बसने वाला प्रकाश है, तब हर सांस, हर शब्द, हर कर्म उसी रंग में भीगने लगता है। यही अवस्था भक्ति की पराकाष्ठा है—जहाँ जीवन की हर दिशा, हर भावना उस एक आभा से आलोकित हो उठती है।
यह प्रार्थना केवल रंग का गुणगान नहीं है, बल्कि यह आत्मा के रंग जाने का उत्सव है। यह भाव हमें सिखाता है कि जब हृदय में सच्ची भक्ति जागती है, तब हमारा बाह्य और आंतरिक जीवन एक ही रंग में रंग जाता है—वह रंग है त्याग, शौर्य और शुद्धि का प्रतीक केसरिया। यह एक ऐसी अवस्था है जहाँ केवल मन ही नहीं, बल्कि शरीर, पूजा के सारे उपकरण (चावल, अष्ट द्रव्य) और यहाँ तक कि मंदिर की ध्वजा भी उसी एक पवित्र भावना से भर जाती है। जब हम स्वयं को उस परम तत्त्व के रंग में रंग लेते हैं, तो हर दिशा, हर कार्य और हर वस्तु में हमें उसी दिव्य ऊर्जा का अनुभव होने लगता है। यह हमें बताता है कि सच्चे साधक के लिए यह संसार दो हिस्सों में बँटा हुआ नहीं है; उसके लिए तो इंद्र और इंद्रायणी से लेकर सिद्धों की पूजा तक, हर जगह उसी परम रंग का प्रकाश दिखाई देता है।
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