किशोरी ये अभिलाषा मन में लिरिक्स
किशोरी ये अभिलाषा मन में,
सेवत रहूँ श्री रजधानी,
श्री मत वृन्दावन में।
रसिकन संग रंग सो विचरो,
यमुना पुलिन लतन में,
राधे नाम रटो रसना,
सो प्रेम पुलक हू तन में।
निशाअरु दिवस निरंतर मेरौ,
बीते भाव भजन में,
सरस माधुरी वास दीजिये,
निज परिकर अलियन में।
श्री सरस माधुरी
अर्थ
हे किशोरी जी मेरे मन में,
अभिलाषा है कि,
मैं श्री वृंदावन धाम जैसी,
रजधानी में आपकी नित्य सेवा करूँ।
मैं सदा रसिक संतों के संग,
यमुना के तट पर लताओं के मध्य,
तुम्हारे प्रेम में रँग कर विचरण करूँ,
ऐसी कृपा करो कि राधे नाम के,
रटने मात्र से ही,
मेरे तन में पुलक हो जाए।
ऐसी कृपा हो कि मेरी हर रात्रि,
हर दिन हर पल हर भाव,
आपके भजन में ही व्यतीत हो,
श्री सरस माधुरी कहते हैं,
कृपया कर मुझे भी अपने,
निज परिकर सखियों में,
वास प्रदान कीजिए।
।। किशोरी ये अभिलाषा मन में ।। श्री सरस माधुरीजी ।। श्री इंद्रेशजी ।। Kishori Ye Abhilasha Mann Mein
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