मेरे अंदर भी राम जगा दो भजन
ओ राम जगा दो,
जगा दो राम जगा दो,
जगा दो राम जगा दो,
राम जगा दो।
रोम रोम में रमने वाले,
रोम रोम में रमने वाले,
एक छोटा सा काम बना दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो।
भेदभाव या घृणा किसी से,
मैं ना करूं जमाने में,
मुझको भी आनंद मिले,
किसी शबरी के घर जाने में,
मानवता ही मुख्य धर्म है,
मन में ऐसा भाव जगा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो।
पर नारी की परछायी तक,
को भी प्रभु प्रणाम करूं,
मर्यादाओं में रहकर,
जीवन में सारे काम करूं,
संस्कार का नाश करे जो,
अहंकार की चिता जला दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो।
भूल से भी मेरे कारण,
ना कभी धर्म की हानि हो,
कोई जीव दर्द में मिले कहीं तो,
इन आंखों में पानी हो,
काम क्रोध मद लोभ से उठकर,
करना मुझको प्यार सिखा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो,
मेरे अंदर भी राम जगा दो,
ओ राम जगा दो,
राम जगा दो।
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