राम तुम्हारी करें प्रतीक्षा Ram Tumhari Kare Prateeksha Bhajan
राम तुम्हारी करें प्रतीक्षा,
रो रो सिया तुम्हारी,
कब आओगे धनुर्धारी,
कब आओगे धनुर्धारी।
वन अशोक में शोकमग्न है,
सीता जनक दुलारी,
कब आओगे धनुर्धारी,
कब आओगे धनुर्धारी।
साथ तुम्हारा पाने को,
छोड़ा मैंने जग सारा,
राजभवन तज वन में आई,
संग रहना स्वीकारा।
दिवस माह बीते जाते हैं,
कब सुधि लोगे हमारी,
कब आओगे धनुर्धारी,
कब आओगे धनुर्धारी।
मृग मरीचिका ने मन मोहा,
और अपराध कराया,
साथ तुम्हारा छूटा स्वामी,
रावण हर ले आया।
मुझको मुक्त कराने और,
मिटाने अत्याचारी,
कब आओगे धनुर्धारी,
कब आओगे धनुर्धारी।
टूटा जाए धीरज मन का,
प्राण आत्मा अकुलाए,
तकते तकते राह तुम्हारी,
प्राण निकल ना जाए।
कहीं विरह में मर ना जाए,
सीता दुख की मारी,
कब आओगे धनुर्धारी,
कब आओगे धनुर्धारी।
राम तुम्हारी करे प्रतीक्षा | RamTumhari Kare Pratiksha | Ram Songs | Ram Ji Ke Bhajan | Bhakti Song
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Author - Saroj Jangir
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