तन के तम्बूरे में दो सांसों की तार बोले
तन तम्बूरा तार मन,
अद्भुत है ये साज,
हरि के कर से बज रहा,
हरि ही है आवाज,
तन के तम्बूरे में दो,
सांसों की तार बोले,
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम।
अब तो इस मन के मंदिर में,
प्रभु का हुआ बसेरा,
मगन हुआ मन मेरा,
छूटा जन्म जन्म का फेरा,
मन की मुरलिया में,
सुर का सिंगार बोले,
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसों की तार बोले,
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम।
लगन लगी लीला धारी से,
जगी रे जगमग ज्योति,
राम नाम का हीरा पाया,
श्याम नाम का मोती,
प्यासी दो अंखियों में,
आंसुओं के धार बोले,
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसों की तार बोले,
जय सिया राम राम,
जय राधे श्याम श्याम।
Anup Jalota - Tan Ke Tambure Mein (Bhajan Sandhya Vol-2) (Hindi)
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यह भजन मानव शरीर को तंबूरे (संगीत वाद्य) के रूप में प्रस्तुत करता है, जिसमें मन तारों के समान है। सांसों की तारों से यह तंबूरा भगवान के हाथों से बज रहा है, और उसकी ध्वनि स्वयं हरि की आवाज है। जब मन के मंदिर में प्रभु का वास होता है, तो आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर आनंदित हो जाती है। राम और श्याम के नामों का जाप करते हुए, भक्त अपने जीवन को धन्य मानता है और दिव्य प्रकाश से आलोकित होता है। इस भजन के माध्यम से, आत्मा और परमात्मा के मिलन की अनुभूति को संगीत के माध्यम से व्यक्त किया गया है।
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