कबीर सब जग हंडिया मांदल कंधि चढ़ाइ हिंदी मीनिंग Kabir Sab Jag Handiya Meaning

कबीर सब जग हंडिया मांदल कंधि चढ़ाइ हिंदी मीनिंग Kabir Sab Jag Handiya Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth / Bhavarth Sahit

कबीर सब जग हंडिया, मांदल कंधि चढ़ाइ।
हरि बिन अपना कोउ नहीं, देखे ठोकि बजाइ॥
 
Kabir Sab Jag Handiya, Mandal Kandhi Chadhai,
Hari Bin Apna Koi Nahi, Dekhe Thoki Bajai.
 
कबीर सब जग हंडिया मांदल कंधि चढ़ाइ हिंदी मीनिंग

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब के इस दोहे का हिंदी में भावार्थ है की जीवात्मा ईश्वर को ढूंढने के लिए समस्त जगत में यहाँ से वहां भटकता रहता है। कंधे पर कावड़ रखकर, एक मंदिर से दूसरे मंदिर वह बहुत भटकता है। उसने सभी देवताओं को देख लिया और ठोक बजाकर भी देख लिया है, परख कर ली है। हरी को छोड़कर ऐसा इस संसार में कोई भी नहीं है जिसे साधक अपना कह सके। आशय है की मूर्ति पूजा और तीर्थ व्यर्थ हैं, साहेब ने सभी को जांच परख लिया है. निराकार पूर्ण ब्रह्म ही साधक को जीवन मरण के चक्र से मुक्ति दिला सकता है. इश्वर के बिना इस जगत में कोई भी अपना/हितैषी नहीं है.
 
The essence of this couplet by Kabir Sahib is that the soul wanders throughout the world in search of the Divine. Carrying a staff on the shoulder, it journeys from one temple to another. It has seen and experienced all the deities, tested them, but found none other than the Supreme Being worthy of devotion.

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