माया महा ठगनी हम जानी हिंदी मीनिंग Maya Maha Thagini Hum Jani Meaning

माया महा ठगनी हम जानी हिंदी मीनिंग Maya Maha Thagini Hum Jani Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit

माया महा ठगनी हम जानी।
तिरगुन फाँसि लिये कर डोलै, बोलै मधुरी बानी।
केसव के कमला होइ बैठी, सिव के भवन भवानी।
पंडा के मूरत होइ बैठी तीरथहू में पानी।
जोगी के जोगिन होइ बैठी, काहू के कौड़ी कानी।
भक्तन के भक्तिन होइ बैठी, ब्रह्मा के ब्रह्मानी।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह सब अकथ कहानी॥
 
माया महा ठगनी हम जानी हिंदी मीनिंग Maya Maha Thagini Hum Jani Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi arth/Bhavarth Sahit
 
कबीर साहेब सन्देश देते हैं की माया महाठगिनी है। त्रिगुण की फांसी का फंदा लेकर माया अपना शिकार बनाने के लिए डोलती है। माया केशव (विष्णु) के यहाँ कमला (लक्ष्मी) बनकर के बैठ जाती है और शिव के यहाँ भवानी बनकर। पांडे घर मूर्ति बनकर बैठ जाती है और तीर्थ में पानी बनकर स्थापित है। जोगी के घर में जोगन हो गई और राजा के घर रानी, यही माया का रूप है। किसी के यहाँ हीरा बनकर आई और किसी के यहाँ कानी कौड़ी। भक्तों के यहाँ भक्तिन हो गई और ब्रह्मा के घर ब्रह्मानी। सुनो भाई साधु, कबीर कहते हैं कि यह अकथनीय कथा है, अतः इस प्रकार से माया का वर्णन कबीर साहेब बताते हैं। 

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