पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न मीनिंग

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोय हिंदी मीनिंग

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
 
Pothi Padhi Padhi Jag Mua, Pandit Bhaya Na Koy,
Dhai Aakhar Prem Ka, Pade So Pandit Hoy.
 
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग

पोथी/किताबें पढ़ पढ़ कर सम्पूर्ण जगत पंडित बन गया है। ढाई अक्षर प्रेम का पढ़कर ही कोई ज्ञानी बन सकता है। आशय है की जीवन में प्रेम का अधिक महत्त्व होता है। प्रेम से ही व्यक्ति समाज और स्वंय के लिए उपयोगी होता है। किताबी और शास्त्रों का ज्ञान कोई महत्त्व नहीं रखता है।  इस दोहे में कबीर दास जी यह शिक्षा देते हैं कि ज्ञान केवल पुस्तकों से प्राप्त नहीं होता है। ज्ञान का वास्तविक स्रोत प्रेम है। जो व्यक्ति प्रेम को समझ लेता है, वही सच्चा ज्ञानी होता है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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