दुख शुरू थे मेरे जन्म से पहले/दुविधा Rap
दुख शुरू थे मेरे जन्म से पहले,
जन्म से पहले मेरी मौत इंतज़ार में,
कैसे कहूं कहानियां,
अब सुनो पूरी लंबी कतार में।
जन्म हुआ मेरा जेल में,
मां बाप का चेहरा मैंने देखा नहीं,
रोती रही मां देवकी,
जुदाई मिली मुझे भेंट में।
मामा से मिला उपहार ये,
मेरे मात पिता लाचार थे,
छः भाईयों को मारा सामने,
आंसू थे मां की आंखों में।
वैसे तो था भगवान मैं,
अजीब सा ये खेल हैं,
मेरे मात पिता मेरे देवता,
वो दोनों ही थे जेल में।
कर्तव्य मिले मुझे जन्म से,
बचपन बीता संघर्ष में,
जिस मां ने पाला पोषा मुझे,
उससे भी हो गया दूर मैं।
विधि का क्या विधान था,
क्या लेख लिखा था कर्मों का,
तुम ठीक से रो तो लेते हो,
मैं रो भी ना पाया चैन से।
कहने को मैं सबकुछ था,
मैं राजा भी मैं रंक भी,
कष्टों से भरा था जीवन मेरा,
दुखों का मेरे अंत नी।
खेल कूद की उम्र में,
कर्तव्य मेरे अनेक थे,
छुड़वाना था मेरे माता पिता को,
कई बरसों से कैद थे।
धर्म के चलते कर्म से,
वो वृंदावन भी छोड़ दिया,
मथुरा की उन गलियों से भी,
अपना दामन मोड़ लिया।
वृंदावन के साथ साथ,
किस्मत भी मेरी रूठ गई,
प्राणों से प्रिय मेरी वो,
राधा रानी छूट गई।
बांसुरी को भी त्याग दिया,
सब छोड़ छाड़ के दूर गया,
सुदर्शन धारण करके कान्हा,
धुन मुरली की भूल गया।
धर्म बचाने की खातिर अब,
हस्तिनापुर को चला गया मैं,
माखन चोरी करता था कभी,
न्यायधीश अब बन गया।
समय का चक्र अजीब था,
में जीत के भी हार गया,
धर्म बचाने वाले को,
दुनिया ने कपटी बता दिया।
तरह तरह के श्राप मिले,
अश्रु की बूंदे सुख गयी,
मां गांधारी के श्राप से,
मेरी द्वारिका नगरी डूब गयी।
मेरी बांसुरी भी छूट गयी,
मेरी द्वारिका भी डूब गयी,
मैंने क्या ही पाया जीवन से,
जब प्रेमिका ही दूर गयी।
विश्राम करने लेटा था मैं,
तीर पैर में आ लगी,
तुम जीते ज़िंदगी चैन से,
मुझे मौत चैन की ना मिली।
मानव के इस रूप में,
मैंने जाने क्या क्या देखा,
मेरे वंश का पतन देखा,
बर्बरीक का मस्तक देखा।
द्रौपदी का चीरहरण,
अभिमन्यु का अकाल मरण,
कुरूक्षेत्र की भूमि में,
भारी भरकम विध्वंश देखा।
DUVIDHA | Hindi Rap Song | By LUCKE
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