आई माताजी रा बैलीया रे गला में घुंगर बाजे

आई माताजी रा बैलीया रे गला में घुंगर बाजे

आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

बिलाड़े री आई माँ ने,
पूजे सीरवी समाज,
आई माता रा गुण गावसु,
मैया रखीयो मेरी लाज।।

आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे,
गला में घुंघरू बाजे आईजी,
भगतो रा कारज सारे,
बैल में बिराजे आईजी,
भगतो रा कारज सारे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

आई माताजी री बैल सवारी,
घणी फुटरी लागे,
सखियां मंगल गावे आईजी,
बैल ने बधावे,
बैल ने बधावे आईजी,
सखियां गीत सुनावे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

जिन घर आईजी री बैल आवे,
भूत-डाकणियां भागे,
बैल में माँ आई बिराजे,
भगतां ने दर्शन देवे,
भगतां ने दर्शन देवे आईजी,
बेडो पार लगावे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

आई माताजी री बैल आगे,
गैर घूमर गाले,
पग में घुंघरू बाजे गेरीयो रे,
गैर घूमर गाले,
आई पंथ री ध्वजा लहरावे,
भक्त जयकारा बोले।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

आई माताजी री बैल साथे,
बाबा मंडळी आवे,
धर्म गुरूसा आवे,
माधवसिंह जी आवे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

आई पंथ री महिमा ने,
कोई मनीष सीरवी लिखे,
बालोतरा सूं गणपत सिंह मैया,
गुणगान थारा गावे,
इन्द्र शर्मा संगीत बजावे,
गुणगान थारा गावे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।

आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे,
गला में घुंघरू बाजे आईजी,
भगतो रा कारज सारे,
बैल में बिराजे आईजी,
भगतो रा कारज सारे।।
आई माताजी रा बैलीया रे,
गला में घुंघरू बाजे।।


आई माताजी रे बेलिया रे गला में घूंघर बाजे गणपतसिंह चौहान की आवाज में शानदार भजन | Aai Mataji Bhajan

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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