लाल चुनर लहराई रे जननी हे अम्बे माँ भजन

लाल चुनर लहराई रे जननी हे अम्बे माँ भजन

(मुखड़ा)
लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।
हो ओ ओ लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।।

(अंतरा 1)
लाल चुनर से तेरा क्या नाता,
जग में कोई जान न पाता,
जिसने भी माँ को चुनरी चढ़ाई,
पल में भवानी दौड़ी तू आई,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।
हो ओ ओ लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।।

(अंतरा 2)
तेरी चुनरिया जग से निराली,
इसमें छुपी है सबकी खुशहाली,
दुष्टों की ये काल बने माँ,
भक्तों की रखवाल बने माँ,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।
हो ओ ओ लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।।

(अंतरा 3)
देवों ने तुझे चुनरी ओढ़ाई,
वेद-पुराणों ने महिमा है गाई,
'हर्ष' भगत माँ इतना ही चाहे,
तेरी चुनरिया यूँ ही लहराए,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।
हो ओ ओ लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।।

(पुनरावृत्ति)
लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।
हो ओ ओ लाल चुनर लहराई रे,
जननी हे अंबे माँ,
तेरी बहुत बड़ी सकलाइ रे।।


लाल चुनर लहराई रे | Lal Chunar Lehrayi Re | Sherowali Mata Ke Sueprhit Bhajan | Mukesh Bagda

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Song: Lal Chunar Lehrayi Re
Singer: Mukesh Bagda
Album: Pahaari Darbar Dekh Le
Category: HIndi Devotional
Producers: Amresh Bahadur, Ramit Mathur
Label: Yuki
 
माँ अंबे की लाल चुनरिया भक्तों के लिए केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि उनकी असीम शक्ति और कृपा का जीवंत चिह्न है, जो हर भक्त के हृदय में श्रद्धा और भक्ति की लहरें उत्पन्न करती है। यह चुनरिया वह पवित्र आलिंगन है, जो भक्तों को माँ की ममता और सुरक्षा का आभास कराती है। जब यह लाल चुनर लहराती है, तो मानो माँ स्वयं अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनके पास दौड़ आती हैं, उनके हर दुख को हर लेती हैं और उनके जीवन को सुख-समृद्धि से भर देती हैं। यह भक्ति का वह रूप है, जो माँ की महिमा को अनन्य बनाता है, जहाँ भक्त अपनी सारी आकांक्षाएँ और प्रेम को माँ के चरणों में अर्पित करता है, यह विश्वास रखते हुए कि माँ की कृपा से कोई भी बाधा अजेय नहीं है।

इस लाल चुनरिया में छिपी है वह शक्ति, जो दुष्टों के लिए काल और भक्तों के लिए रक्षक बनती है। यह माँ की वह दिव्य ऊर्जा है, जो संसार की हर बुराई को नष्ट करती है और अपने भक्तों के जीवन में खुशहाली का प्रकाश फैलाती है। देवताओं और वेद-पुराणों द्वारा प्रशंसित माँ की यह महिमा भक्तों के लिए एक अनंत प्रेरणा है, जो उन्हें माँ के प्रति और अधिक समर्पित होने को प्रेरित करती है। भक्त का मन केवल यही कामना करता है कि माँ की यह लाल चुनरिया सदा लहराती रहे, और उनकी कृपा हर पल उनके जीवन को आलोकित करती रहे। यह भक्ति का वह स्वरूप है, जो माँ के प्रेम और शक्ति को हर भक्त के हृदय में स्थापित करता है, और उन्हें एक ऐसी आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है, जहाँ माँ की कृपा ही उनका सबसे बड़ा सहारा है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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