ચાલ રમીએ સહિ ! મેલ મથવું મહી,
વસંત આવ્યો વનવેલ ફૂલી;
મ્હોરિયા અંબ, કોકિલ લવે કદંબ,
કુસુમ-કુસુમ રહ્યા ભ્રમર ઝૂલી.
પહેર શણગાર ને હાર, ગજગામિની,
ક્યારની કહું છું જે ચાલ ઊઠી;
રસિક મુખ ચુંબીએ, વળગીએ, ઝુંબીએ,
આજ તો લાજની દુહાઈ છૂટી.
હેતે હરિ વશ કરી લ્હાવો લે ઉર ધરી,
કર ગ્રહી કૃષ્ણજી પ્રીતે પળશે;
નરસૈંયો રંગમાં અંગ ઉન્મત થયો,
ખોયેલા દિવસનો ખંગ વળશે.
– નરસિંહ મહેતા
વસંત આવ્યો વનવેલ ફૂલી;
મ્હોરિયા અંબ, કોકિલ લવે કદંબ,
કુસુમ-કુસુમ રહ્યા ભ્રમર ઝૂલી.
પહેર શણગાર ને હાર, ગજગામિની,
ક્યારની કહું છું જે ચાલ ઊઠી;
રસિક મુખ ચુંબીએ, વળગીએ, ઝુંબીએ,
આજ તો લાજની દુહાઈ છૂટી.
હેતે હરિ વશ કરી લ્હાવો લે ઉર ધરી,
કર ગ્રહી કૃષ્ણજી પ્રીતે પળશે;
નરસૈંયો રંગમાં અંગ ઉન્મત થયો,
ખોયેલા દિવસનો ખંગ વળશે.
– નરસિંહ મહેતા
चल रमिए सहि! मेल मथवो मही,
वसंत आया वनवेल फूली;
मोहड़िया आम, कोकिल कूकें कदंब,
कुसुम-कुसुम रह्या भ्रमर झूली.
पहिर शृंगार ने हार, गजगामिनी,
क्यारनी कहूं छू जे चल उठी,
रसीक मुख चूमे, वलगे, झूमे,
आज तो लाजनी दुहाई छूटी,
हेते हरी वसा करि ल्हावे ले व धरी,
कर ग्राही कृष्णजी प्रीते पलासे,
नरसिंहियो रंग में अंग उन्मत्त हुआ,
खोये हुए दिनों का हिसाब वसूलें.
वसंत आया वनवेल फूली;
मोहड़िया आम, कोकिल कूकें कदंब,
कुसुम-कुसुम रह्या भ्रमर झूली.
पहिर शृंगार ने हार, गजगामिनी,
क्यारनी कहूं छू जे चल उठी,
रसीक मुख चूमे, वलगे, झूमे,
आज तो लाजनी दुहाई छूटी,
हेते हरी वसा करि ल्हावे ले व धरी,
कर ग्राही कृष्णजी प्रीते पलासे,
नरसिंहियो रंग में अंग उन्मत्त हुआ,
खोये हुए दिनों का हिसाब वसूलें.
Other Variations
ચાલ ચાલ સૈયર સહિ ! મહેલ મથવું મહી,
વસંત આવ્યો વનવેલ ફૂલી;
મહોરિયા અંબ કદમ, કોકીલ લવે વસંત,
કુસુમ કુસુમ રહ્યો ભમર છલી. ચાલ
સાર ને હાર આભૂષણ, ગજગામિની, કહવારની કહું છું, ચાલ ઊઠી;
રસીક મુખ ચુમીએ, વળગીએ, ઝુંબીએ, આજ તો લાજની દોવાઈ છૂટી. ચાલ.
ચૂવા ચંદન ચર્ચાં, વળી અરગજા, કેસર ગાગર લોને ભરી;
કોણ પુણ્યે કરી, પામી સુંદર વર, આ અવસર નહિ આવે ફરી. ચાલ.
હેતે હરી વશ કરી, નાવલો ઉર ધરી, કરગ્રહી કૃષ્ણજી પાછા કેમ ફરશે;
નરસૈંયાચા સ્વામી રંગમાં, અંગે ઉદમસ્ત હવો, કોઇ પણ દિવસને ખંગ વળશે. ચાલ.
Chaal Ramiye Sahi • ચાલ રમીએ સહિ મેલ મથવું મહી • SOLI KAPADIA • HEMA DESAI
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चल रमिए सहि! मेल मथवो मही : मेरी सखी चलो साथ में चले।
वसंत आया वनवेल फूली : बसंत आया है और वन में फूल लगे हैं।
मोहड़िया आम, कोकिल कूकें कदंब : आम पक चुके हैं, कोयल कदम्ब के पेड़ पर कूक रही है।
कुसुम-कुसुम रह्या भ्रमर झूली : प्रत्येक फूल पर भंवरा झूम रहा है, मंडरा रहा है।
पहिर शृंगार ने हार, गजगामिनी : हाथी के समान चाल वाली, मदमस्त शृंगार करके, फूलों का हार लेके।
क्यारनी कहूं छू जे चल उठी : मैं कब से कह रही हूँ की चलो उठो।
रसीक मुख चूमे, वलगे, झूमे : रसिक मुख चूम रहा है, झूम रहा है।
आज तो लाजनी दुहाई छूटी : आज तो लाज शर्म की दुहाई छूट गई है।
हेते हरी वसा करि ल्हावे ले व धरी : हृदय में बसा लो।
कर ग्राही कृष्णजी प्रीते पलासे, हृदय में कृष्ण जी को बसा लो।
नरसिंहियो रंग में अंग उन्मत्त हुआ : नरसिंह/कृष्ण की भक्ति में रत हुआ है।
खोये हुए दिनों का हिसाब वसूलें: जो भक्ति के अभाव में दिन में बीत चुके हैं उनका हिसाब वसूलों।
वसंत आया वनवेल फूली : बसंत आया है और वन में फूल लगे हैं।
मोहड़िया आम, कोकिल कूकें कदंब : आम पक चुके हैं, कोयल कदम्ब के पेड़ पर कूक रही है।
कुसुम-कुसुम रह्या भ्रमर झूली : प्रत्येक फूल पर भंवरा झूम रहा है, मंडरा रहा है।
पहिर शृंगार ने हार, गजगामिनी : हाथी के समान चाल वाली, मदमस्त शृंगार करके, फूलों का हार लेके।
क्यारनी कहूं छू जे चल उठी : मैं कब से कह रही हूँ की चलो उठो।
रसीक मुख चूमे, वलगे, झूमे : रसिक मुख चूम रहा है, झूम रहा है।
आज तो लाजनी दुहाई छूटी : आज तो लाज शर्म की दुहाई छूट गई है।
हेते हरी वसा करि ल्हावे ले व धरी : हृदय में बसा लो।
कर ग्राही कृष्णजी प्रीते पलासे, हृदय में कृष्ण जी को बसा लो।
नरसिंहियो रंग में अंग उन्मत्त हुआ : नरसिंह/कृष्ण की भक्ति में रत हुआ है।
खोये हुए दिनों का हिसाब वसूलें: जो भक्ति के अभाव में दिन में बीत चुके हैं उनका हिसाब वसूलों।
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