नरक में जाने से बचने के लिए ये हैं आसान उपाय नरक चतुर्दशी Narak Chaturthi Par Kare Ye Kam
नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है, दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है, जिसका एक विशेष महत्त्व है। इस दिन भगवान यमराज और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है ताकि बुरे कर्मों का नाश हो और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहे। इस दिन का धार्मिक महत्त्व बेहद खास है, और इसे करने वाले व्यक्ति को यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते और उन्हें अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। अकाल आने वाली बाधाओं में भी यह अवसर विशेष महत्त्व रखता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्क चतुर्दशी पर किए गए अनुष्ठान, जैसे स्नान और दीपदान, व्यक्ति को नरक के भय से मुक्ति दिलाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन यमराज के लिए दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है और व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है।
नर्क चतुर्दशी, जिसे नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है और दीपावली से एक दिन पूर्व आता है। नर्क चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने और विशेष स्नान करने की परंपरा है, जिससे व्यक्ति को नरक के भय से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध करके धर्म की विजय का प्रतीक स्थापित किया था।
नरक चतुर्दशी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष नरक चतुर्दशी की तिथि और शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है:- तिथि शुरू: 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1:15 बजे
- तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3:52 बजे
- यम दीपक मुहूर्त: शाम 5:30 बजे से शाम 7:02 बजे तक (30 अक्टूबर 2024)
- अभ्यंग स्नान मुहूर्त: सुबह 5:20 बजे से सुबह 6:32 बजे तक (31 अक्टूबर 2024)
नरक चतुर्दशी पर करने योग्य महत्वपूर्ण कार्य
अभ्यंग स्नान: इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अभ्यंग स्नान से व्यक्ति बुरी ऊर्जा और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त होता है।भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा
स्नान के बाद भगवान कृष्ण और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में अनिष्ट प्रभाव दूर होते हैं। मान्यता है कि इससे व्यक्ति को नरक जाने से मुक्ति मिलती है।
यम दीपक जलाना
इस दिन प्रदोष काल में यमराज के नाम का दीपक जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसे जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। दीपक को घर की दक्षिण दिशा में रखना चाहिए, जिससे यमराज प्रसन्न होते हैं।घर की सफाई और दक्षिण दिशा की विशेष देखभाल
घर की दक्षिण दिशा को साफ रखना इस दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह दिशा यमराज की होती है और इस दिन यहां दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध करना लाभकारी होता है।नरक चतुर्दशी का भगवान कृष्ण से संबंध
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से लगभग 16,000 गोपियों को मुक्त कराया था। इसी कारण इस दिन को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। नरकासुर के वध के बाद इस दिन को अधर्म के नाश और धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।नरक चतुर्दशी का महत्व
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी पर जो व्यक्ति यमराज के नाम पर दीपक जलाता है, उसे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद नरक के दुखदायी यात्रा से छुटकारा मिलता है। इस दिन किए गए शुभ कर्म और स्नान से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और उसे सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है।नरक चतुर्दशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
नरक चतुर्दशी के दिन कुछ कार्यों से बचना शुभ माना गया है, जैसे बाल या नाखून नहीं काटना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मकता का प्रवेश होता है और कलह-क्लेश की स्थिति बन सकती है। इस दिन विशेष रूप से ध्यान रखें कि घर की दक्षिण दिशा को गंदा न करें और यमराज की पूजा अवश्य करें। साथ ही किसी भी जीव को कष्ट न दें और उसे मारने से बचें, ताकि दिन की पवित्रता बनी रहे और शुभता का संचार हो।नरक चतुर्दशी का दिया कैसे जलाएं ?
नरक चतुर्दशी पर यम दीप जलाने की परंपरा विशेष महत्व रखती है, जिसका पालन करना आवश्यक है। माना जाता है कि इस दिन दक्षिण दिशा में दीप जलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। यम दीप को सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार या आंगन में दक्षिण दिशा की ओर जलाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यमराज की मानी जाती है। इस दीप को जलाते समय अपने पितरों के लिए आभार और शांति की प्रार्थना करनी हितकर होती है जिससे उनके आशीर्वाद से परिवार में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाती है और इसका हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था और उसकी कैद से 16,000 स्त्रियों को मुक्त कराया था। इस घटना को धर्म की विजय और अधर्म के अंत के रूप में स्थापित किया गया है, जिससे इस दिन की महत्ता और भी बढ़ जाती है। नरक चतुर्दशी का पर्व, धार्मिक आस्था और परंपराओं का सुंदर संगम है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठानों से जातक बुरे प्रभावों से बचता है और अपने जीवन को स्वस्थ, सुखद और शांतिपूर्ण बनाता है।
Author - Saroj Jangir
धार्मिक और सामजिक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में आपकी सेहत से जुड़ी जानकारी और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य रोचक जानकारी को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है। |
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- इस दीपावली को दें बजट फ्रेंडली गिफ्ट Diwali DIY and Budget Friendly Gift Ideas
- नरक में जाने से बचने के लिए ये हैं आसान उपाय नरक चतुर्दशी Narak Chaturthi Par Kare Ye Kam
- दिवाली वास्तु टिप्स दिवाली के दिन बाथरूम में भी जलाएं दिया Diwali Par Jalaye Deepak in Bathroom
- धनतेरस की शुभकामनाएं ऐसे भेजे Dhanteras Best Wishesh Shubhkamnayen Aise Bheje
- इस दीपावली पर विशेष रूप से रखें त्वचा का ख्याल Depawali Flawless Skin Care Gharelu Nushkhe