मालिक ने भजो गिवारा मत भूलो ही बारम्बारा

मालिक ने भजो गिवारा मत भूलो ही बारम्बारा

सायब तेरी सायबी,
सब घट रही समाय,
ज्यूं मेहंदी रे पान में,
लाली लखी न जाय।
आया है जो जाएगा,
राजा रंक फकीर,
एक सिंघासन बैठ चल्या,
एक बंधा जाय जंजीर।।

मालिक ने भजो गवारा,
मत भूलो ही बारम्बारा,
बीरा जन्म लियो ज्याने मरणो,
ईश्वर घर लेखों भरणो।।

बाजीगर खेल रचायो,
सब खलक तमाशे आयो,
बाजीगर कला समेटी,
ओ रे गयो आप अगेती।।

तुझे पान, फूल, फल चाहिए,
बेलड़िया सींचतो रहिये,
बेलड़िया वन फल लागा,
थारा जन्म मरण भव भागा।।

तुझे दर्शन करना चाहिए,
दर्पण को माजतो रहिये,
दर्पण में आवे झांही,
थने दर्शन व्हेला नाही।।

तुझे पार उतरना चाहिए,
खेवटिये सूं मिलतो रहिये,
खेवटियो पार उतारे,
थने भवसागर सूं प्यारे।।

आ केवे कबीर सा वाणी,
वाणी को संत पिछाणी,
पिछाणया नाय पतीजे,
इण मूर्ख रो कांई कीजे।।

मालिक ने भजो गवारा,
मत भूलो ही बारम्बारा,
बीरा जन्म लियो ज्याने मरणो,
ईश्वर घर लेखों भरणो।।


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