शेरनी का तीसरा पुत्र पंचतंत्र की कहानी The Lioness Third Son Hindi Motivational Story
स्वागत है मेरी इस पोस्ट में! इस लेख में हम एक बहुत ही दिलचस्प और प्रेरणादायक पंचतंत्र कहानी के बारे में पढेंगे। यह कहानी पंचतंत्र (Panchtantra Stories in Hindi ) की प्रसिद्ध कहानी 'शेरनी का तीसरा पुत्र' है, जो हमें साहस, सच्चाई की पहचान के महत्व को समझाती है। आइए, इस कहानी मनोरंजक और शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ें. The Lioness Third Son Hindi Motivational Story
पंचतंत्र की कहानी शेरनी का तीसरा पुत्र
एक घने जंगल में एक शेर और शेरनी बड़े ही प्रेम के साथ रहते थे। दोनों मिलकर शिकार करते, भोजन बाँटते और एक-दूसरे पर गहरा विश्वास रखते थे, उनका जीवन प्रेम के साथ कट रहा था। कुछ समय बाद, वे दो प्यारे बच्चों के माता-पिता बने। जब शेरनी ने बच्चों को जन्म दिया, शेर ने उससे कहा, "अब से तुम शिकार पर मत जाओ। बच्चों की देखभाल करो, मैं हमारे लिए भोजन लाऊँगा।" शेरनी ने भी उसकी बात मानी और घर पर रहकर अपने बच्चों की परवरिश करने लगी।
एक दिन शेर को पूरा जंगल में भटक आया लेकिन इसके बावजूद भी उसे कोई शिकार नहीं मिला। थक हार कर वह वापस लौट रहा था, तभी उसे रास्ते में एक छोटा सा लोमड़ी का बच्चा अकेला घूमता पाया। उसने सोचा कि आज के भोजन के लिए यह बच्चा ही सही रहेगा। शेर ने उसे पकड़ लिया, लेकिन उसका मासूम चेहरा देखकर उसे मारने का मन नहीं हुआ और उसे जिंदा ही अपने घर ले आया।
घर पहुंचकर शेर ने शेरनी को बताया कि आज वह खाली हाथ लौटा है और रास्ते में मिले इस छोटे बच्चे को शिकार के रूप में घर लाया है। शेर की बात सुनकर शेरनी ने कहा, "जब तुम इसे मार नहीं सके तो मैं भी इसे नहीं मार सकती। यह अब से हमारे बच्चों जैसा ही होगा, मैं इसे अपने दोनों बच्चों की तरह ही पाल पास कर बड़ा करुँगी।" इस तरह से लोमड़ी का बच्चा भी उनका तीसरा पुत्र बन गया और वह भी उसी घर में खुशी-खुशी बड़े होने लगा।
वह तीनों बच्चे अब साथ-साथ खेलने लगे और जंगल में घूमने लगे। उन्हें नहीं पता था कि उनमें से दो शेर हैं और तीसरा लोमड़ी का बच्चा। एक दिन खेलते हुए उन्होंने एक बड़े हाथी को देखा। शेर के दोनों बच्चे हाथी का शिकार करने के लिए उसके पीछे दौड़े, लेकिन लोमड़ी का बच्चा डर के मारे रुक गया और उसने उन्हें रोकने की कोशिश करने लगा। लेकिन वे दोनों उसकी बात नहीं माने और पीछे लगे रहे, जबकि लोमड़ी का बच्चा वापस अपने घर लौट गया।
जब शेरनी के दोनों बच्चे लौटे, तो उन्होंने शेरनी को बताया कि उनका तीसरा भाई हाथी से डरकर घर लौट आया, वह तो बहुत ही डरपोक है। यह सुनकर लोमड़ी का बच्चा क्रोध से भर गया और बोला, "तुम दोनों मुझे डरपोक मत कहो, मैं तुम दोनों को हरा सकता हूँ।" शेरनी ने उसे प्यार से समझाया, "तुम्हें अपने भाइयों से ऐसा नहीं कहना चाहिए। वे सच कह रहे हैं, तुम हाथी को देखकर डर गए थे।"
शेरनी ने लोमड़ी के बच्चे को अकेले में बुलाकर उसे सच्चाई बताई, "तुम्हारा जन्म एक लोमड़ी के रूप में हुआ है, तुम वास्तव में एक लोमड़ी ही हो, इसलिए तुम शेरों के समान साहसी और शिकारी कभी नहीं बन सकते हो। तुम्हारे दोनों भाई शेर के वंश से हैं और इसलिए उनमें हाथी का सामना करने का साहस है। यह उनके स्वभाव में है। लेकिन तुम्हारे अंदर यह स्वभाव नहीं है, और यही कारण है कि तुम डर गए।"
शेरनी ने उसे चेतावनी दी कि अगर तुम्हारे भाइयों को तुम्हारी असली पहचान का पता चल गया की तुम तो वास्तव में लोमड़ी हो, तो वे तुम्हें शिकार बना कर खा जाएंगे इसलिए बेहतर यही होगा कि तुम सुरक्षित रूप से इस जंगल को छोड़ दो। लोमड़ी के बच्चे को यह बात समझ में आ गयी और वह मौका पाकर जंगल छोड़कर भाग गया और अपनी जान बचाई।
इस कहानी की शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बाहरी दिखावे से व्यक्ति का वास्तविक स्वभाव नहीं बदलता। चाहे हम किसी भी माहौल में रहें, अपनी असल पहचान और गुण हमें हमेशा याद रखने चाहिए। हमें स्वंय का मूल्यांकन करना चाहिए और अपनी शक्तियों के अनुरूप ही व्यवहार करना चाहिए।
प्रिय मित्रों आपको मेरे द्वारा बताई गई पंचतंत्र की यह कहानी कैसी लगी, अवश्य ही बताएं। आप इस साइट पर विजिट करते रहें और स्टोरी सेक्शन में ऐसी ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्ध और प्रेरणादायक कहानियों का आनंद लें।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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