गुरु नाम की रैल खड़ी कबीर भजन
गुरु नाम की रैल खड़ी कबीर भजन
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
मन के भीतर जुड़े हुए हैं,
हृदय का इसमें इंजन है,
प्रेम नगर से गाड़ी चली,
और रामनगर स्टेशन है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
पुण्य की पटरी बनी हुई है,
सत्य का इसमें सिग्नल है,
न्याय का इसमें ब्रेक लगा है,
दया का इसमें डीजल है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दसों इंद्री इसकी चेकर,
सीटी वही बजाती है,
रामनगर से गाड़ी चली,
बैकुंठ लोक को जाती है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दया धर्म का बैठा ड्राइवर,
गाड़ी वही चलाता है,
जो भी बैठे इस गाड़ी में,
भवसागर तर जाता है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
धन दौलत और माल खजाना,
यही पड़ा रह जाएगा,
कहे कबीर सुनो भाई साधु,
फिर मन में पछताएगा,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
मन के भीतर जुड़े हुए हैं,
हृदय का इसमें इंजन है,
प्रेम नगर से गाड़ी चली,
और रामनगर स्टेशन है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
पुण्य की पटरी बनी हुई है,
सत्य का इसमें सिग्नल है,
न्याय का इसमें ब्रेक लगा है,
दया का इसमें डीजल है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दसों इंद्री इसकी चेकर,
सीटी वही बजाती है,
रामनगर से गाड़ी चली,
बैकुंठ लोक को जाती है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
दया धर्म का बैठा ड्राइवर,
गाड़ी वही चलाता है,
जो भी बैठे इस गाड़ी में,
भवसागर तर जाता है,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
धन दौलत और माल खजाना,
यही पड़ा रह जाएगा,
कहे कबीर सुनो भाई साधु,
फिर मन में पछताएगा,
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
गुरु नाम की रेल खड़ी है,
इसका टिकट कटवा लो रे,
नैया भंवर में पड़ी हुई है,
भव से पार लगा लो रे।।
गुरु नाम की रैल खड़ी Guru naam ki rail khadi Dhakad inder choudhary
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Guru Naam Ki Rail Khadi Hai,
Iska Ticket Katwa Lo Re,
Naiya Bhanwar Mein Padi Hui Hai,
Bhav Se Paar Laga Lo Re।।
Iska Ticket Katwa Lo Re,
Naiya Bhanwar Mein Padi Hui Hai,
Bhav Se Paar Laga Lo Re।।
यह भजन गुरु और राम नाम की महिमा का सुन्दर भक्तिमय उदाहरण है। भजन में जीवन रूपी नैया को भवसागर पार कराने के लिए गुरु नाम और राम नाम को माध्यम बताया गया है। भजन में गुरु की उपमा रेल से दी गई है, जिसकी पटरी पुण्य और डीजल दया है। यह भजन हमें धर्म, दया, और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसके गहन अर्थ भक्तों को जीवन में आध्यात्मिकता का महत्व सिखाते हैं।
गुरु नाम की रैल खड़ी
निर्गुण भजन गायन
गायक कलाकार -: धाकड़ इंदरसिंह चौधरी,घनश्याम प्रजापत.
निर्गुण भजन गायन
गायक कलाकार -: धाकड़ इंदरसिंह चौधरी,घनश्याम प्रजापत.
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Author - Saroj Jangir
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