भजो रे मन राम गोविंद हरी लिरिक्स Bhajo Re Man Raam Govind Hari Lyrics Kabir Bhajan Lyrics with Meaning
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
भजो रे मन राम गोविन्द हरी हिंदी मीनिंग : राम के नाम का सुमिरण ही जीवन का उद्देश्य है और मुक्ति का आधार है। इसलिए हरी के नाम का सुमिरण करो। We Should Chant the name of Holy God. The Continuous chanting of God's Name is the aim of human Life and the basis of freedom from the cycle of birth and death.
जप तप साधन कछु नहिं लागत,
खरचत नहिं गठरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
खरचत नहिं गठरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
हरी के नाम के सुमिरण, हरी के नाम को भजने में तुम्हारा कुछ भी खर्च नहीं होता है। तुम्हारी माया जो तुमने गठरी में बाँध रखी है वह भी इसमें खर्च नहीं होने वाली है। It costs you nothing to chant the name of Hari. No money is going to be spent on Hari Name Sumiran (Chanting the Name of God)
संतत संपत सुख के कारन,
जासे भूल परी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
इस संसार के सुखों के कारण, जो सम्पूर्ण जगत में फैले हुए हैं, के कारण हरी सुमिरन में भूल पड़ जाती है, हम हरी के नाम से विमुख हो जाते हैं। The wealth and treasures of this world, the progeny, your next generation are all apparent sources of happiness. But in fact they are distractions which makes one forget and lose his path in this world.
कहत कबीर जो मुख राम नहीं,
वो मुख धूल भरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
कबीर साहेब कहते हैं की जिस मुख में हरी के नाम का सुमिरण ना हो, जाप ना हो उसके मुख पर धूल है, वह व्यर्थ है। Kabeer says thus, the tongue on which the name of Ram does not reside is as good as full of dust.
भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
Bhajo Re Bhaiya Raam Govind Haree .
Raam Govind Haree Bhajo Re Bhaiya Raam Govind Haree .
Jap Tap Saadhan Nahin Kachhu Laagat, Kharachat Nahin Gatharee .
Santat Sampat Sukh Ke Kaaran, Jaase Bhool Paree .
Kahat Kabeer Raam Nahin Ja Mukh, Ta Mukh Dhool Bharee . Related Post
संतत संपत सुख के कारन,
जासे भूल परी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
इस संसार के सुखों के कारण, जो सम्पूर्ण जगत में फैले हुए हैं, के कारण हरी सुमिरन में भूल पड़ जाती है, हम हरी के नाम से विमुख हो जाते हैं। The wealth and treasures of this world, the progeny, your next generation are all apparent sources of happiness. But in fact they are distractions which makes one forget and lose his path in this world.
कहत कबीर जो मुख राम नहीं,
वो मुख धूल भरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी,
भजों रे मन, राम गोविंद हरी,
भजो रे मन राम गोविंद हरी।
कबीर साहेब कहते हैं की जिस मुख में हरी के नाम का सुमिरण ना हो, जाप ना हो उसके मुख पर धूल है, वह व्यर्थ है। Kabeer says thus, the tongue on which the name of Ram does not reside is as good as full of dust.
Kabir Bhajan - Bhajo Re Man Ram Govind Hari (with lyrics)
Bhajo Re Man Raam Govind Hari Lyricsभजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥
Bhajo Re Bhaiya Raam Govind Haree .
Raam Govind Haree Bhajo Re Bhaiya Raam Govind Haree .
Jap Tap Saadhan Nahin Kachhu Laagat, Kharachat Nahin Gatharee .
Santat Sampat Sukh Ke Kaaran, Jaase Bhool Paree .
Kahat Kabeer Raam Nahin Ja Mukh, Ta Mukh Dhool Bharee .
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