थारी सावली सूरत रा माने दर्शन दे दीजो भजन

थारी सावली सूरत रा माने दर्शन दे दीजो भजन

प्रेम हरि को रूप है,
त्यों हरि प्रेम स्वरूप,
एक होइ द्वै यों लसे,
ज्यों सूरज अरु धूप।।

मुरलीधर की बांसुरी,
सुना रही है तान,
घर से निकली राधिका,
छोड़ साज सामान।।

थारी सांवली सूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो,
माधुरी मूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो।।

ए मोर मुकुट पीतांबर भारी,
झलक दिखा दीजो,
गल बैजंती माल, हाथ में
मुरली ले लीजो,
थारी सांवली सूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो।।

दिन दुखी तो मैं रहूं,
मारी अर्जी सुन लीजो,
मर्जी हो तो आप सांवरिया,
पार कर दीजो,
थारी सांवली सूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो।।

वृंदावन जावो तो मोहन,
सांची कह दीजो,
चंद्र सखी ने भव से पार कर दीजो,
थारी सांवली सूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो।।

थारी सांवली सूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो,
माधुरी मूरत रा माने,
दर्शन दे दीजो।।


Thari savali surat ra mane darshan de dijo bhajan mukesh ji menariya krishn nagar

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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