राजस्थानी कहावत: नींद बैच ओजकौ मोल लैणौ।
अर्थ: बेमतलब समस्या मोल लेना।
अंग्रेज़ी में: Inviting unnecessary trouble or stress.
रमेश कै बिना बात के झगड़े में पड़ गयो, म्हें कहयो कि नींद बैच ओजकौ मोल मत ले।
रमेश बिना बात के झगड़े में उलझ गया, मैंने उसे समझाया कि बेमतलब समस्या मोल मत लो।
Ramesh got involved in an unnecessary conflict, and I advised him not to invite unnecessary trouble.
यह राजस्थानी कहावत तब कही जाती है जब कोई व्यक्ति बिना जरूरत किसी समस्या या विवाद में फंस जाता है, बेवजह समस्या को मोल ले लेता है। इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति अपनी शांति और सुख छोड़कर ऐसी चीजें चुन लेता है, जो उसके लिए कष्टकारी सिद्ध होती हैं। इस कहावत का उद्देश्य हमें यह सिखाना है कि व्यर्थ की समस्याओं में पड़ने से बचना चाहिए।
"नींद बैच ओजकौ मोल लैणौ" कहावत उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो जानबूझकर या अनजाने में ऐसे कार्यों में फंस जाते हैं, जो उनके लिए अनावश्यक परेशानी खड़ी कर देते हैं। इस कहावत भाव है की विवेकशीलता का उपयोग किया जाना चाहिए, फिजूल के कार्यों से दूर रहना चाहिए। हमें अपनी ऊर्जा और समय को केवल सार्थक और उपयोगी कार्यों में लगाना चाहिए। बेमतलब के झगड़े, विवाद, या उलझनों में पड़ने से न केवल मानसिक शांति खत्म होती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी बहुत असर पड़ता है।
अंग्रेज़ी में: Inviting unnecessary trouble or stress.
रमेश कै बिना बात के झगड़े में पड़ गयो, म्हें कहयो कि नींद बैच ओजकौ मोल मत ले।
रमेश बिना बात के झगड़े में उलझ गया, मैंने उसे समझाया कि बेमतलब समस्या मोल मत लो।
Ramesh got involved in an unnecessary conflict, and I advised him not to invite unnecessary trouble.
यह राजस्थानी कहावत तब कही जाती है जब कोई व्यक्ति बिना जरूरत किसी समस्या या विवाद में फंस जाता है, बेवजह समस्या को मोल ले लेता है। इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति अपनी शांति और सुख छोड़कर ऐसी चीजें चुन लेता है, जो उसके लिए कष्टकारी सिद्ध होती हैं। इस कहावत का उद्देश्य हमें यह सिखाना है कि व्यर्थ की समस्याओं में पड़ने से बचना चाहिए।
"नींद बैच ओजकौ मोल लैणौ" कहावत उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो जानबूझकर या अनजाने में ऐसे कार्यों में फंस जाते हैं, जो उनके लिए अनावश्यक परेशानी खड़ी कर देते हैं। इस कहावत भाव है की विवेकशीलता का उपयोग किया जाना चाहिए, फिजूल के कार्यों से दूर रहना चाहिए। हमें अपनी ऊर्जा और समय को केवल सार्थक और उपयोगी कार्यों में लगाना चाहिए। बेमतलब के झगड़े, विवाद, या उलझनों में पड़ने से न केवल मानसिक शांति खत्म होती है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता पर भी बहुत असर पड़ता है।
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Author - Saroj Jangir
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