बालम जी म्हारा निंदड़ली लग गई रे
हार गई थी मैं तो सजना,
आंखों को समझाके,
अब यह आंखें नहीं खुलेंगी,
देर लगा दी तुमने आते,
खेत चिड़ी चुग गई रे,
बालम जी म्हारा साहब जी म्हारा,
निंदड़ली लग गई रे,
बालम जी म्हारा साहब जी म्हारा,
निंदड़ली लग गई रे।
वो निंदिया कैसी सजना,
जिसमें आंखें खुल जाए,
मैं सोई ऐसी अब तो,
मुझे कोई जगा ना पाए,
अब ये फूल कभी ना खिलेंगे,
ना ये मेरे होंठ हिलेंगे,
जा वे सजना खुश रहना तू,
अब तो अगले जन्म मिलेंगे,
सेज म्हारी सज गई रे,
बालम जी म्हारा साहब जी म्हारा,
निंदड़ली लग गई रे।
तूने मुझे चाहा इतना,
यही मुझको है काफी,
अगर हो मुमकिन तो फिर,
मुझे दे देना माफी,
प्रीत के कच्चे धागे सजना,
फिर काहे डर लगे सजना,
मेरी जान बहुत छोटी है,
तेरी जान के आगे सजना,
अमर सुहागन भई रे,
बालम जी म्हारा साहब जी म्हारा,
निंदड़ली लग गई रे।
राजस्थान के लोकगीत मरुधरा की सांस्कृतिक धड़कन हैं। जो पीढ़ियों से थार की रेत में बसे जीवन की कहानियां सुनाते हैं। इनमें रेशमी पोशाकों की शोभा, घूंघट की ओट में छिपा संकोच, और रणबांकुरों की शौर्य गाथाएं दिखती हैं। ये गीत सिर्फ स्वर नहीं, बल्कि राजस्थान की परंपरा, लोक नृत्य, और रीति रिवाज भी हैं।
Nindrali - Parmen,Anita Dangi, Feat. Arti Singh,Mahendra,Rekha Choudhary | New Rajasthani Video Song
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Song: Nindrali
Singers: Parmen, Anita Dangi
Artists: Arti Singh, Mahendra & Rekha Choudhary
Lyrics: Dhanraj Dadhich
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Author - Saroj Jangir
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