
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
बसंत पंचमी के पर्व पर ज्ञान, विद्या और संगीत की देवी सरस्वती जी की पूजा की जाती है। इस दिन हम पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले फूलों से मां सरस्वती की पूजा करते हैं। यह दिन विद्या का महत्व सिखाता है और नए आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ाता है। बसंत ऋतु के आगमन का यह त्योहार प्रकृति की सुंदरता और खुशहाली का संदेश देता है। वर्ष 2025 में बसंत पंचमी के दिन महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान भी होगा, जो 144 साल में एक बार आता है। इस अमृत स्नान के शुभ संयोग के कारण यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
बसंत पंचमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। 2025 में यह तिथि 2 फरवरी को सुबह 9:16 बजे से शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6:54 बजे तक रहेगी। व्रत 2 फरवरी को रखा जायेगा, लेकिन 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:33 से 6:21 तक रहेगा।
इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:09 से देर रात तक रहेगा। सुबह 9:14 तक शिव योग रहेगा, उसके बाद सिद्ध योग लगेगा। पहले उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र रहेगा, फिर रेवती नक्षत्र लगेगा।
बसंत पंचमी के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है। माता सरस्वती की पूजा से जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष दिन है। सरस्वती पूजन से शिक्षा में अच्छे परिणाम मिलते हैं। दान करने से भी लाभ होता है। इस दिन एकांत में ध्यान करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
लेखक: सरोज जांगिड़, सीकर, राजस्थान