इस योग्य हम कहाँ है गुरुवर तुम्हें रिझाए भजन

इस योग्य हम कहाँ है गुरुवर तुम्हें रिझाए भजन

इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए,
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तू मान जाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

जब से जनम लिया है,
विषयों ने हमको घेरा,
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा,
सद्बुद्धि को अहम ने,
हरदम रखा दबाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं, स्वार्थी हैं,
तेरा ध्यान जब लगाए,
माया पुकारती है,
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्त हो न पाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

जग में जहाँ भी देखा,
बस एक ही चलन है,
एक-दूजे के सुख से,
सबको बड़ी जलन है,
कर्मों का लेखा-जोखा,
कोई समझ न पाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

जब कुछ न कर सके तो,
तेरे चरण में आए,
अपराध मानते हैं,
झेलेंगे सब सजाएं,
गोविंद से अब मिला दो,
कुछ और हम न चाहें,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।

इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए,
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तू मान जाए,
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझाए।।


इस योग्य हम कहाँ हैं गुरुवर तुम्हें रिझायें | 28.3.2021 | भक्तिवेदांत मन्दिर वृन्दावन | #बाँसुरी

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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