हाथी और कुत्तों की कहावत जीवन के बड़े सत्य का प्रतीक
"हाथी निकल जाता है, कुत्ते भौंकते रह जाते हैं" यह पुरानी कहावत आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी पहले थी। जब भी किसी बड़े व्यक्ति या घटना का सामना होता है, तो उसकी महिमा और प्रभाव को समझने के लिए छोटे लोग केवल प्रतिक्रिया ही देते हैं। हाथी की उपमा बड़े कार्यों और प्रभावशाली व्यक्तित्वों के लिए दी जाती है, जबकि कुत्ते उन छोटे व्यक्तियों का प्रतीक हैं जो सिर्फ शोर मचाते हैं लेकिन किसी बदलाव में कोई हिस्सा नहीं होते।

जब हाथी अपने रौब और ताकत के साथ रास्ते से गुजरता है, तो कुत्ते उसे देखकर भौंकने लगते हैं। यह भौंकना कई कारणों से होता है—कभी डर के कारण, कभी स्वार्थ के कारण, और कभी सिर्फ आदत के चलते। लेकिन क्या किसी कुत्ते की भौंक से हाथी रुकता है? नहीं, हाथी अपनी मस्ती में चलता रहता है, और उसका बड़प्पन उसी में झलकता है कि कुत्ते उसे देखकर भी कुछ नहीं कर सकते।आज के समाज में भी यही स्थिति है। जैसे पुराने समय में हाथी जंगल से गुजरता था और कुत्ते भौंकते रहते थे, वैसे ही अब बड़े घोटाले, राजनैतिक घटनाएँ, या समाज के प्रभावशाली व्यक्ति आते हैं, और लोग बेमतलब की बातों में उलझे रहते हैं। कुत्ते भौंकते रहते हैं, लेकिन हाथी बिना रुके चलता रहता है।इसका कारण यह है कि बड़े काम छोटे लोग नहीं कर सकते। जैसे हाथी बड़े-बड़े काम करता है, वैसे ही बड़े व्यक्ति या घटना का असर भी बहुत बड़ा होता है। एक भिखारी से यह नहीं उम्मीद की जा सकती कि वह किसी बड़े घोटाले को अंजाम देगा। बड़े काम बड़े व्यक्तियों द्वारा ही किए जाते हैं, और यही सत्य समय-समय पर सामने आता है।हाथी का प्रभाव उसके आकार, उसकी शक्ति, और उसकी उपस्थिति में होता है। यह किसी छोटे जानवर द्वारा नहीं समझा जा सकता। हाथी का पेट जितना बड़ा है, उसकी भूख भी उतनी बड़ी है, और उसी तरह बड़े लोग बड़े कामों की ओर अग्रसर होते हैं। उनके लिए जो छोटे कार्य हैं, वही बड़े कार्य उनके लिए होते हैं।लेकिन जो लोग केवल शोर मचाते हैं, वे कभी भी उस बदलाव का हिस्सा नहीं बन सकते जो एक हाथी लाता है। यह शोर सिर्फ समय की बर्बादी है। कुत्तों की तरह भौंकने वाले लोग कभी यह नहीं समझ पाते कि उनके भौंकने से किसी बड़े कार्य को नहीं रोका जा सकता। हाथी तो चलता ही रहता है, और कुछ समय बाद कुत्ते भी थककर चुप हो जाते हैं।समाज में बड़े बदलाव और घटनाएँ इस प्रकार की होती हैं। हाथी के सामने किसी कुत्ते की आवाज नहीं सुनाई देती। यह केवल वक्त की बात है, जब समय के साथ लोग खुद ही समझ जाते हैं कि वे केवल शोर कर रहे थे। हाथी ने अपने रास्ते पर चलने से कभी किसी को कोई जवाब नहीं दिया, और न ही उसे किसी कुत्ते की भौंक से कोई फर्क पड़ा।इस कहावत के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि अगर हम बड़े कार्यों का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो हमें सिर्फ शोर करने की बजाय अपने काम में ध्यान लगाना होगा। आखिरकार, जीवन के बड़े सच को समझना और उसके अनुसार चलना ही सफलता की कुंजी है।
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