भगवान शिव को भोलेनाथ क्यों कहते हैं?
भगवान शिव को भोलेनाथ कहा जाता है। इसका कारण उनकी सरलता और दयालुता है। जो भी सच्चे मन से उनकी पूजा करता है, वह उनकी कृपा जल्दी प्राप्त कर लेता है।
एक कहानी भस्मासुर नाम के राक्षस की है। उसने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उसे वरदान देने का वादा किया। भस्मासुर ने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन शिव जी ने इसे प्रकृति के नियमों के विरुद्ध बताया। फिर उसने ऐसा वरदान मांगा कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। शिव जी ने "तथास्तु" कहकर वरदान दे दिया।भस्मासुर ने इस वरदान का दुरुपयोग करना चाहा। उसने शिव जी के सिर पर हाथ रखने की कोशिश की। शिव जी ने तुरंत विष्णु भगवान को याद किया। आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। मोहिनी को देखकर भस्मासुर मोहित हो गया। उसने मोहिनी से विवाह का प्रस्ताव रखा। मोहिनी ने कहा, "मैं उसी से शादी करूंगी जो अच्छा नृत्य करता हो।"मोहिनी ने नृत्य शुरू किया और भस्मासुर से कहा, "जैसा मैं करती हूं, वैसा करो।" भस्मासुर ने नृत्य करते-करते अपना हाथ अपने सिर पर रख लिया। इससे वह खुद ही भस्म हो गया।इस घटना से पता चलता है कि भगवान शिव कितने भोले हैं। वह सच्चे मन से की गई पूजा का फल अवश्य देते हैं, भले ही पूजा करने वाला अच्छा हो या बुरा।
भगवान शिव को भोलेनाथ और भोला भंडारी क्यों कहा जाता है, यह जानने के लिए हमें उनके स्वभाव और कार्यों को समझना होगा। शिव जी अपनी सरलता, दया, और सत्य ज्ञान देने की शक्ति के लिए प्रसिद्ध हैं। वह किसी भी आत्मा को, चाहे वह कितना भी पापी क्यों न हो, सत्य का मार्ग दिखाते हैं और उसे पापों से मुक्त होने की विधि बताते हैं। इसीलिए उन्हें "विधाता" और "विधि का दाता" भी कहा जाता है। भगवान शिव न केवल भोले हैं, बल्कि सर्वशक्तिमान भी हैं। वह ज्ञान और शक्तियों के भंडार हैं। वह सभी आत्माओं को अपनी शक्ति और ज्ञान से भरपूर करते हैं। जो आत्माएं अपनी शक्तियां गवां देती हैं, शिव जी उन्हें भी शक्ति और गुणों से भर देते हैं। इसीलिए उन्हें भोला भंडारी कहा जाता है।
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Author - Saroj Jangir
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