एक कान्हा वृंदावन में है एक बसता है खाटू
एक कान्हा वृंदावन में है एक बसता है खाटू में भजन
भटक रहा था यूं ही सुख की तलाश में,
सुख मिला नहीं तोमर किसी के पास में,
गया खाटू तो ये लगा सब मिल गया हो,
मेरे सांवरे के पास में।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
हारे का सहारा एक बना,
एक ज्ञान का पाठ पढ़ा के गया,
जीवन कैसे जीना है सबको,
बात सभी को सिखा के गया।
एक द्वापर का अवतारी बना,
एक कलयुग का दातारी बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक महाभारत का बना सारथी,
दुष्टों का संहार किया,
एक धर्म युद्ध का बना साक्षी,
कलयुग में उद्धार किया।
एक दुष्टों का प्रतिकार बना,
एक सब का तारणहार बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक राधा थी एक मीरा थी,
दोनों ने अद्भुत प्रेम किया,
एक प्रेम के वश में हो जाता,
एक प्रेम का दे संदेश गया।
एक द्वापर की पहचान बना,
एक कलयुग का भगवान बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक भक्त के वश में होकर के,
रसखान को जिसने दर्श दिए,
एक मोर छड़ी से ही जिसने,
पट मंदिर के सब खोल दिए।
एक जाकर द्वारकाधीश बना,
एक खाटू का न्यायाधीश बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
सुख मिला नहीं तोमर किसी के पास में,
गया खाटू तो ये लगा सब मिल गया हो,
मेरे सांवरे के पास में।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
हारे का सहारा एक बना,
एक ज्ञान का पाठ पढ़ा के गया,
जीवन कैसे जीना है सबको,
बात सभी को सिखा के गया।
एक द्वापर का अवतारी बना,
एक कलयुग का दातारी बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक महाभारत का बना सारथी,
दुष्टों का संहार किया,
एक धर्म युद्ध का बना साक्षी,
कलयुग में उद्धार किया।
एक दुष्टों का प्रतिकार बना,
एक सब का तारणहार बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक राधा थी एक मीरा थी,
दोनों ने अद्भुत प्रेम किया,
एक प्रेम के वश में हो जाता,
एक प्रेम का दे संदेश गया।
एक द्वापर की पहचान बना,
एक कलयुग का भगवान बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक भक्त के वश में होकर के,
रसखान को जिसने दर्श दिए,
एक मोर छड़ी से ही जिसने,
पट मंदिर के सब खोल दिए।
एक जाकर द्वारकाधीश बना,
एक खाटू का न्यायाधीश बना,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
एक कान्हा वृंदावन में है,
एक बसता है खाटू में,
फर्क नहीं दोनों में कोई,
एक दानी है एक ज्ञानी है।
कान्हा जी प्रेम, भक्ति और धर्म के रूप हैं। उन्होंने गीता का उपदेश देकर संसार को सत्य और कर्तव्य का मार्ग दिखाया था जो वर्तमान में भी बहुत महत्वपूर्ण पथ है। उनके बाल रूप की मोहक लीलाएं सभी के हृदय को आनंदित करती हैं। खाटू श्याम जी को कलियुग में श्री कृष्ण जी का वरदान प्राप्त हुआ था। खाटूश्याम जी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने वाले देव हैं। उनकी भक्ति करने से जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिकता मिलती है। श्री कृष्ण जी और खाटू श्याम जी का स्मरण करने मात्र से ही मन को असीम शांति और आनंद मिलता है। जय कन्हैया लाल की जय श्री श्याम।
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Lyrics by Suresh Tomar,
Singer :MR. Arif Raj
Singer :MR. Arif Raj
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Author - Saroj Jangir
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