कोई नहीं परदेस में मेरा किसको हाल सुनाऊँ

कोई नहीं परदेस में मेरा किसको हाल सुनाऊँ


इतना प्यार करे ना कोई,
माँ करती है जितना,
इतना ध्यान रखे ना कोई,
माँ रखती है जितना।
कोई नहीं परदेस में मेरा,
किसको हाल सुनाऊँ माँ,
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?

पास बिठाकर तू अपने,
हाथों से मुझे खिलाती थी,
जब तक मैं ना खा लेता,
माँ, तू भी ना खाती थी।
चोट मुझे लगती थी,
तेरी आँखें नीर बहाती थीं,
मैं तो सो जाता था माँ,
पर तुझको नींद ना आती थी।
मुझ पर बहुत एहसान हैं तेरे,
मुझ पर बहुत एहसान हैं तेरे,
कैसे उन्हें भुलाऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?

देख के वैष्णो माँ की मूरत,
तेरी सूरत याद आए,
सच कहता हूँ, अब तेरी
हर एक नसीहत याद आए।
तू कहती थी अपने घर की,
रूखी-सूखी अच्छी है,
झूठी है दुनिया की दौलत,
तेरी ममता सच्ची है।
क्यों छोड़ा मंदिर जैसा घर?
क्यों छोड़ा मंदिर जैसा घर?
सोचूँ और पछताऊँ माँ!
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?

सारे जग में कोई मुझ-सा,
बदकिस्मत, मजबूर ना हो,
छोड़ के अपना देश कभी,
कोई बेटा माँ से दूर ना हो।
किस्मत वाले रहते हैं,
माँ के आँचल की छाँव में,
देवों के वरदान से ज्यादा,
असर है माँ की दुआओं में।
माँ जैसा कोई और नहीं है,
माँ जैसा कोई और नहीं है,
मैं सबको समझाऊँ माँ!
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?

इतना प्यार करे ना कोई,
माँ करती है जितना,
इतना ध्यान रखे ना कोई,
माँ रखती है जितना।
कोई नहीं परदेस में मेरा,
किसको हाल सुनाऊँ माँ,
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?
दूर हूँ मैं, मजबूर हूँ मैं,
तेरे पास मैं कैसे आऊँ माँ?

 
इस भजन में माता रानी से विनती की गई है कि वह अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें, उनका कल्याण करें और हर संकट को दूर करें। माँ की ममता और आशीर्वाद से ही भक्तों का जीवन संवरता है। इस हृदयस्पर्शी भजन को अपनी मधुर आवाज़ में सोनू निगम ने गाया है, जिससे इसकी भावना और अधिक गहन हो गई है। 
 
यह गीत सभी माताओं को समर्पित है और माँ के असीम प्रेम व त्याग को उजागर करता है। माँ ही है जो असहनीय पीड़ा सहकर अपने बच्चे को इस दुनिया में लाती है, खुद भूखी रहकर भी अपने बच्चे को भोजन कराती है और रातों को जागकर उसे सुलाने का प्रयास करती है। जब संतान बीमार होती है या किसी संकट में होती है, तो उसका दर्द सबसे अधिक माँ को ही महसूस होता है। अगर संतान दूर चली जाती है, तो वही माँ रात-दिन उसकी सलामती की दुआएं करती है और उसके लौटने का इंतज़ार करती है। माँ के ऋण को इस जन्म में तो क्या, अगले कई जन्मों तक भी नहीं चुकाया जा सकता। इस गीत की भावनात्मक पंक्तियाँ हर संतान को अपनी माँ की याद दिलाएंगी, और सोनू निगम की मधुर आवाज़ इसे और भी करुणामयी व हृदयस्पर्शी बना देती है। अवश्य श्रवण करें और माँ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें!
SONU NIGAM | Mother's Day Special | Koi Nahin Pardes Mein Mera | Happy Mother's Day

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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