राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे का हूं दास
राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे का हूं दास
राधा मेरी स्वामिनी मैं राधे का हूं दास,
उन्हीं के सहारे ये दास ले रहा सांस,
अधम हूं मैं पापी हूं मैं दीन हीन अज्ञानी सा,
बस इतना पता हैं मैं जैसा भी हूं राधा रानी का।
लेके माला हाथ में हूँ खोया राधा नाम में,
अश्रु रूप लेके आती श्री जी मेरी आंख में,
दुखालय संसार में बस भक्ति देती सुख,
मैं शरणागत हूं मेरे सारे काम होते खुद।
पागल हूं मैं ऐसा जिसको समझे मुझसा पागल कोई,
जो पागल राधा नाम में उससे बड़ा कोई पागल नहीं,
चिंता मैं क्यू करु मेरी स्वामिनी सब देखेगी,
मुझको सब कुछ दे देंगी वो मेरा सब कुछ लेके भी।
क्या बोले अनाथ ये वे मेरी प्राण नाथ,
लाखों मांओ जितना मेरा रखती वे ख्याल,
वृन्दावन की गलियों में ही खोया मेरा चित्त,
ये गीत लिखती वे हीं स्वयं मैं केवल निमित्त।
क्रीड़ा करी जाए सुबह शाम या रुलाए,
हंसाए या दुखों की वे बरसात देके जाए,
त्याग दे अपनाए ओझल या सामने आए,
अब तो जोई जोई प्यारो करे सोई मोहि भावे।
मैं जितना खुद के पास भी नहीं उतना राधा रानी के,
हैं लेखक राधे कृष्ण मेरे जीवन की कहानी के,
नाम में रहता हूं इस शरीर से हूं दूर,
हृदय की बंजर भूमि में भी खिल रहे हैं फूल।
गीत मेरे जब भी मेरे प्रेम को दर्शाते हैं,
आंखों के समंदर से फिर मोती निकल आते हैं,
दुनिया से क्या लेना देना दुनिया अपनी है ही नहीं,
अपनी दुनिया श्री जी चरण अपनी कुटिया केवल वही।
जिनको जीवन सोपा शेष मुझपे मेरा कुछ ना,
तो फ़िर उनके बिना एक क्षण भी कैसे जी सकता हूं,
भटकते भटकते मिला मनुष्य ये जीवन,
अहो भाग्य इस जीवन में राधा नाम ले सकता हूं।
क्रीड़ा करी जाए सुबह शाम या रुलाए,
हंसाए या दुखो की वे बरसात देके जाए,
त्याग दे अपनाए ओझल या सामने आए,
अब तो जोई जोई प्यारो करे सोई मोहि भावे।
उन्हीं के सहारे ये दास ले रहा सांस,
अधम हूं मैं पापी हूं मैं दीन हीन अज्ञानी सा,
बस इतना पता हैं मैं जैसा भी हूं राधा रानी का।
लेके माला हाथ में हूँ खोया राधा नाम में,
अश्रु रूप लेके आती श्री जी मेरी आंख में,
दुखालय संसार में बस भक्ति देती सुख,
मैं शरणागत हूं मेरे सारे काम होते खुद।
पागल हूं मैं ऐसा जिसको समझे मुझसा पागल कोई,
जो पागल राधा नाम में उससे बड़ा कोई पागल नहीं,
चिंता मैं क्यू करु मेरी स्वामिनी सब देखेगी,
मुझको सब कुछ दे देंगी वो मेरा सब कुछ लेके भी।
क्या बोले अनाथ ये वे मेरी प्राण नाथ,
लाखों मांओ जितना मेरा रखती वे ख्याल,
वृन्दावन की गलियों में ही खोया मेरा चित्त,
ये गीत लिखती वे हीं स्वयं मैं केवल निमित्त।
क्रीड़ा करी जाए सुबह शाम या रुलाए,
हंसाए या दुखों की वे बरसात देके जाए,
त्याग दे अपनाए ओझल या सामने आए,
अब तो जोई जोई प्यारो करे सोई मोहि भावे।
मैं जितना खुद के पास भी नहीं उतना राधा रानी के,
हैं लेखक राधे कृष्ण मेरे जीवन की कहानी के,
नाम में रहता हूं इस शरीर से हूं दूर,
हृदय की बंजर भूमि में भी खिल रहे हैं फूल।
गीत मेरे जब भी मेरे प्रेम को दर्शाते हैं,
आंखों के समंदर से फिर मोती निकल आते हैं,
दुनिया से क्या लेना देना दुनिया अपनी है ही नहीं,
अपनी दुनिया श्री जी चरण अपनी कुटिया केवल वही।
जिनको जीवन सोपा शेष मुझपे मेरा कुछ ना,
तो फ़िर उनके बिना एक क्षण भी कैसे जी सकता हूं,
भटकते भटकते मिला मनुष्य ये जीवन,
अहो भाग्य इस जीवन में राधा नाम ले सकता हूं।
क्रीड़ा करी जाए सुबह शाम या रुलाए,
हंसाए या दुखो की वे बरसात देके जाए,
त्याग दे अपनाए ओझल या सामने आए,
अब तो जोई जोई प्यारो करे सोई मोहि भावे।
हम अपने हर सुख-दुख को राधा कृपा के अधीन रखते हैं और संसार की चिंता त्याग कर केवल भक्ति में लीन हैं। राधा नाम के जाप से सच्चा आनंद मिलता है और हम अपनी हर भावना को उन्हीं के चरणों में अर्पित कर देते हैं। वृंदावन और राधा रानी के प्रेम में खोए हुए हम मानते हैं कि उनके जीवन की हर रचना श्री राधा-कृष्ण की प्रेरणा से ही संभव है। हम स्वयं को उनकी इच्छा पर छोड़ देते हैं।जो भी राधा रानी करें वही हमें स्वीकार्य है। जय श्री राधे।
Radha Meri Swamini - Vayuu | Radha Krishna | Radha Rani Song | Hindi Rap
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Author - Saroj Jangir
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