मन की चंचलता और दुखों का बोझ जब हृदय को भटकाने लगता है, तब एकमात्र सहारा वह शक्ति है, जो करुणा से भरी है। यह शक्ति मन को शांत कर, उसे सही मार्ग दिखाती है। जैसे तूफान में डूबती नाव को किनारा मिलता है, वैसे ही यह करुणा जीवन की मझधार से पार उतारती है।
गुरु भजन : गुरुदेव हे हमारे रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज स्वर : विप्र अमित सारस्वत जी ।
षट् वैरियों—काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, और मत्सर—के पीछे पड़ा मन जब थक जाता है, तब वह इस शक्ति के चरणों में शरण पाता है। यह शरणागति ही दुखों की हलचल को मिटाती है। जैसे अंधेरे में दीया जलने से तम छट जाता है, वैसे ही यह शक्ति अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाती है।
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