(मुखड़ा) हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो, लाचार हूँ मैं, बीच भंवर में, इस पार या, उस पार लगा दो हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो।।
(अंतरा) सर पे तूफ़ान है, नीचे मझधार है, कोशिशें की मगर, सारी बेकार है, बेबस हुए हैं, हुए बेसहारा, पतवार थामो या, उंगली थमा दो, हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो।।
(अंतरा) जिनसे पहचान थी, सबको आवाज़ दी, मुस्कुराए सभी, पर नज़र फेर ली, मेरी ज़िंदगी अब, दांव पे लगी है, अंधियारी रात को अब, सवेरा दिखा दो, हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो।।
(अंतरा) डूबते को प्रभु, अब तेरी आस है, नज़र तुझ पे टिकी, तू ही विश्वास है, सब जानते हैं मैं, तुमसे जुड़ा हूँ, हमको बचा के अपना, नाम बचा लो, हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो।।
(पुनरावृति) हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो, लाचार हूँ मैं, बीच भंवर में, इस पार या, उस पार लगा दो हे दीनबंधु, दया अब दिखा दो।।
Hey Dinbandhu | Khatu Shyam ji Bhajan | Kumar Deepak
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SINGER - KUMAR DEEPAK LYRICS - SHREE PANKAJ AGRAWAL ( BARODA ) MUSIC - SHUBHRANEEL CHATTERJEE DIRECTOR - RAHUL RANA VIDEO - VAISHNAVI CREATION
हृदय की पुकार है, जो दीनबंधु के चरणों में लाचार पड़ी है। जीवन की नाव भंवर में फँसी, ऊपर तूफान, नीचे गहरी धारा। हर कोशिश बेकार, मन बेसहारा। जिन्हें अपना माना, वे मुस्कुराकर भी मुख मोड़ गए। अब केवल प्रभु की आस, उनकी नजर ही एकमात्र विश्वास। अंधेरी रात में सवेरा चाहिए, डूबते को किनारा चाहिए। प्रभु से जुड़ा हूँ, यह संसार जानता है; उनकी कृपा ही अब नाम और जीवन बचा सकती है। यह भक्ति का वह क्षण है, जहाँ करुणा की एक बूँद मन को पार लगा देती है।
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