कर दो कृपा की नजर हार कर मैं आया

कर दो कृपा की नजर हार कर मैं आया हूं

(मुखड़ा)
कर दो कृपा की नज़र,
हार कर मैं आया हूं,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।

(अंतरा)
दुनिया में भटका,
हर पल मैं अटका,
तेरी कृपा से परे,
तेरी कृपा से परे,
ममता का जीवन,
सुन मेरे मोहन,
तेरी दया से चले,
तेरी दया से चले,
हम सब को अब तू बुला ले,
मेरे सांवरे,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।

(अंतरा)
मैं तो हूं हारा,
ग़म का हूं मारा,
तू ही संवारे मुझे,
तू ही संवारे मुझे,
दुनिया की ठोकर,
सहता रहा हूं,
तू ही संभाले मुझे,
तू ही संभाले मुझे,
तुझ पे ही आस टिकी है,
मेरे सांवरे,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।

(अंतरा)
तुझसे कहूंगा,
तू ही सुनेगा,
विश्वास है ये मेरा,
विश्वास है ये मेरा,
मेरा खिवैया,
तू ही कन्हैया,
तू ही किनारा मेरा,
तू ही किनारा मेरा,
भव से तू पार करेगा,
मेरे सांवरे,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।

(अंतरा)
दुनिया ने ठुकराया,
अपनों ने गिरवाया,
चोट लगी दिल पे श्याम,
चोट लगी दिल पे श्याम,
तू ही है माता,
तू ही पिता है,
खाटू का राजा है तू,
खाटू का राजा है तू,
अनुराग की तू सुन ले,
मेरे सांवरे,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।

(पुनरावृत्ति)
कर दो कृपा की नज़र,
हार कर मैं आया हूं,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं,
मेरे खाटू वाले श्याम,
तेरे दरबार आया हूं।।


Ardaas Bhajan | कृपा की नज़र | Kripa Ki Nazar | Anurag Mittal Kar Do Kripa Ki Najar Bhajan

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Voice : Anurag Mittal ( Bhiwani )
Lyrics -Sh. Sonu Goyal
Music : Ashish Dadhich
Video : SHRI SHYAM JAGAT
Label : SHRI SHYAM JAGAT
 
खाटू के श्याम के दर पर भक्त हारा हुआ, ठोकरें खाया हुआ खड़ा है, जैसे कोई तूफान में भटका नाविक किनारे की आस लिए आए। वह माँगता है बस एक कृपा की नज़र, जो उसके जीवन को ममता से भर दे। दुनिया की राहों में भटककर, हर कदम पर अटककर, वह अब सांवरे की शरण में है, यह जानते हुए कि उनकी दया ही उसकी नाव को पार लगाएगी।  

ग़मों से जख्मी, दुनिया की ठोकरों से थका, भक्त कहता है, हे मोहन, तू ही मुझे संभाल, तू ही मेरा सच्चा साथी। उसका विश्वास अटल है कि सांवरा उसकी पुकार सुनेगा, क्योंकि वह न केवल खिवैया है, बल्कि किनारा भी। जैसे कोई बच्चा माता-पिता की गोद में सांत्वना पाए, वैसे ही भक्त खाटू के राजा से अपने दिल के जख्मों को मिटाने की गुहार लगाता है।  श्याम की शरण में हर हारा जीत पाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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